मुख्यधारा की सियासत से किनारे किए गए मनोज सिन्हा


नई दिल्ली/अक्षर सत्ता/ ऑनलाइन। उत्तर प्रदेश भाजपा में एक वक्त कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह, ओम प्रकाश सिंह, लालजी टंडन, कलराज मिश्र जैसे नेताओं की तूती बोलती थी। इनके बाद मनोज सिन्हा जैसे चेहरे उभरे, लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव ने राज्य में भाजपा की आंतरिक सियासत का स्वरूप ही बदल दिया। पूर्ण बहुमत की सरकार बनी और मुख्यमंत्री पद के लिए उस वक्त के केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा का नाम उछला। लेकिन अचानक गोरक्षपीठ के महंत योगी आदित्यनाथ राज्य के मुख्यमंत्री बना दिए गए, जबकि दौड़ में मनोज सिन्हा जैसा चेहरा थे। राजनाथ सिंह केंद्र में मंत्री हैं और लालजी टंडन, कलराज सिंह के बाद अब सिन्हा को भी मुख्यधारा की राजनीति से किनारे कर दिया गया है।


ऐन वक्त पर सारे पीछे रह गए और योगी आदित्यनाथ बाजी मार ले गए। उन्हें राज्य का मुख्यमंत्री बना दिया गया। बीते एक साल के भीतर पहले कलराज मिश्र इसके बाद अब मनोज सिन्हा को मुख्यधारा की सियासत से किनारे लगाया जा चुका है। राजनाथ सिंह फिलवक्त देश के रक्षा मंत्री का पद लेकर चुपचाप केंद्र में बैठे हैं। कल्याण सिंह की तरह ही लालजी टंडन को राज्यपाल बना कर पहले ही मुख्यधारा की सियासत से हटा दिया गया था। कल्याण सिंह पर अब उम्र हावी है और टंडन जी स्वर्गवासी हो चुके हैं।


अब यूपी भाजपा में न कोई गुट न कोई खेमा, योगी आदित्यनाथ का राज निष्कंटक है। उनकी पसंद के स्वतंत्रदेव सिंह यूपी भाजपा अध्यक्ष हैं। पिछड़े वर्ग के स्वतंत्रदेव भी यूपी के पूर्वांचल से ही आते हैं। योगी की एक कट्टर हिंदूवादी छवि को राममंदिर निर्माण में उनकी सक्रियता ने और निखारने का काम किया। उन्हें मोदी के पीएम पद का वारिश माना जाने लगा है। जानकार बताते हैं कि मोदी ने गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए इसी तरह सरकार और संगठन पर अपनी पकड़ बनाई थी और फिर एक दिन देश के प्रधानमंत्री पद के दावेदार बने।


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