रवि प्रधान की जज्बात जगाती शायरी, सड़क की धूल को मुट्ठियों में भर लिया करो

सड़क की धूल को मुट्ठियों में भर लिया करो



कभी कभी जनाब ऐसा भी कर लिया करो।
सड़क की धूल को मुट्ठियों में भर लिया करो ।।


ये वही रास्ता है जहां भूख ने दम तोड़ा था ।
इसी बहाने आंख को तर कर लिया करो।।


माना कि सारा आसमां तुम्हारा है मगर ।
कभी-कभी जमीन की तरफ सर कर लिया करो ।।


यूं तो हाशिये पे हम सदियों से खड़े हैं लेकिन।
बुरे वक्त में बड़ा सा जिगर कर लिया करो।।



- रवि प्रधान
 (रवि के बारे में कुछ कहने से बेहतर है ...आसमां की तरफ देख लिया जाये..)


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