जबलपुर के जंगलों में तेंदुए कर रहे विचरण, संरक्षण के पुख्ता इंतजाम नहीं 


जबलपुर/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। जंगलों में तेंदुओं की दस्तक कोई नई नहीं है, लेकिन उन्हें संरक्षित करने और लोगों उनसे सुरक्षा देने की दिशा में तमाम प्रयास फाइलों तक ही सीमित हैं। जबलपुर जिले के सामान्य वन मंडल में जब-तब तेंदुओं की दहाड़ सुनाई देती रहती है, ऐसे में वन विभाग द्वारा तेंदुओं की गिनती कराकर उन्हें संरक्षित करने की बात ही होती है, लेकिन इस दिशा में कोई सार्थक प्रयास नहीं हो रहे हैं।


जबलपुर के सिहोरा, कुंडम, बरेला, डुमना, खमरिया, जीसीएफ, तिलहरी-गौर से लेकर भिटौली और नयागांव-बरगी हिल्स की पहाड़ी पर तेंदुओं की लोकेशन ट्रेस होती रहती है। इन क्षेत्रों में श्वान, पालतु मवेशियों के शिकार की घटनाएं भी होती रहती हैं।


तेंदुए की नई लोकेशन गत वर्ष नवंबर माह से नयागांव-बरगी हिल्स की पहाड़ी पर हुई है। यहां आए दिन तेंदुए के होने के चिन्ह मिल रहे हैं, ऐसे में वन विभाग द्वारा यहां पिंजरे लगाए गए थे, लेकिन तेंदुआ पकड़ में नहीं आया। मंडला के कान्हा से एक्पर्ट की टीम ने भी इस बात की पुष्टि की थी कि यहां पहाड़ी से ठाकुरताल तक एक से अधिक तेंदुए हैं। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष दिसंबर माह में तेंदुआ और उसके दो शावकों को देखा भी था। इस साल जनवरी माह में मंडला से एक्सपर्ट भी बुलाए गए थे, करीब दस दिन टीम यहां रही, लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी।


जिले के जंगलों में तेंदुओं की गिनती को लेकर इस वर्ष के आरंभ में योजना भी बनी थी, लेकिन इस पर क्रियान्वयन नहीं हो सका। इसके पीछे एक बड़ा कारण संसाधनों की कमी और मुख्यालय से अनुमति को भी बताया जाता है।


विशेषज्ञों की मानें तो सिहोरा से नयागांव की पहाड़ी तक करीब 50 किमी लंबा कॉरीडोर है। यह परियट, खंदारी, गौर, नर्मदा नदी होने के कारण यह आदर्श रहवास बना हुआ है। इसके साथ ही नयागांव की पहाड़ी को जोड़ने वाला जंगल एक ओर से है, जो नर्मदा के किनारे-किनारे भिटौली से बरेला, डुमना तक जाता है। जानकारों की मानें तो इस कॉरीडोर में तेंदुए विचरण करते रहते हैं।


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