डॉ. अर्जुन ने रचा इतिहास, एशिया बुक व इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ नाम



अधिकतम सम्मान पत्र प्राप्त करने वाले एशिया व इंडिया के पहले रिसर्चर बने अर्जुन

जबलपुर/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। नर्मदा पर छः वर्ष से शोध कर रहे तीन रत्न (नर्मदा, पर्यावरण एवं विज्ञान) से सम्मानित शहडोल जिले ब्योहारी में जन्मे डॉ. अर्जुन शुक्ला को 6 फरवरी के रिकॉर्ड प्रमाणीकरण के पश्चात 19 फरवरी को दोनों रिकॉर्ड के दर्ज होने घोषणा की गई। डॉ. अर्जुन ने एशिया बुक व इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाकर संस्कारधानी को गौरवान्वित कर दिया। 

डॉ. अर्जुन के विज्ञान एवं अनुसंधान के क्षेत्र में भारत व दुनिया के कोने कोने से प्राप्त अब तक के 62 सम्मान पत्र प्राप्त करने वाले एशिया व इंडिया के पहले रिसर्चर भी बन गये। जनवरी 2014 से जनवरी 2021 तक के रात-दिन की अटूट मेहनत और किसी कार्य को न कहने की आदत ने 29 वर्ष की आयु में 7 वर्ष के शोध के दौरान 62 सम्मान एवं प्रशस्ति पत्र प्राप्त करने का एशिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड बना। शासकीय विज्ञान महाविद्यालय जबलपुर के पूर्व छात्र एवं शोधार्थी व शासकीय मो. ह. गृह विज्ञान महाविद्यालय के प्राणिशास्त्र विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे डॉ. अर्जुन ने 62 सम्मान एवं प्रशस्ति पत्र प्राप्त करने का इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड भी बनाया। 

एशिया बुक के संपादकीय बोर्ड में इंडिया के डॉ. विश्वरूप रॉय, वियतनाम के डॉ. ले त्रान, नेपाल के डॉ. दीपक चन्द्र, मलेशिया के मिस सिल्वारनी, इंडोनेशिया के डॉ. पोंजियन ने कोरोनाकाल को देखते हुए ऑनलाइन रिकॉर्ड की घोसणा की गईI  इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के एडिटर इन चीफ डॉ. विश्वरूप रॉय चौधरी ने इंडिया बुक रिकॉर्ड डॉ. अर्जुन के नाम दर्ज करने की घोषणा की गई। 

डॉ. रीता भंडारी, डॉ. वीणा चौबे और डॉ. जयश्री शर्मा के निर्देशन पर शोध कार्य करने वाले पिता नर्मदा के नाम को लेकर नर्मदा नगरी में इतिहास रचने वाले डॉ. अर्जुन को सौभाग्य से दोनों रिकॉर्ड उनके पिता नर्मदा के जन्म दिन पर बना और माँ नर्मदा की जयंती पर उन्हें रिकॉर्ड की घोषणा की गई। डॉ. अर्जुन का कहना है कि जिंदगी में नकारात्मक विचारो का कोई स्थान नहीं है। जो मिला वह ठीक है, नहीं मिला तो भी ठीक है, परन्तु पाने का संघर्ष जारी रहना चाहिए। जैसी भी परिस्थिति हो, जब आप अपने कोशिश से सफल हो जाते हो तो यह आपकी उपलब्धि होती है।

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