वह दिन दूर नहीं जब सच लोगों से बहुत दूर होगा और झूठ लोगों की बहुत करीब
सिहोरा/जबलपुर। आज के दौर में हर जिले में, हर राज्य में, देश का चौथा स्तंभ खतरे में हैI किसी भी पत्रकार को न ही लिखने की आजादी है और न ही सच दिखाने की आजादी। खबर चलने से पहले ही धमकी मिल जाती है। पत्रकारों को धमकाने से देश का लोकतंत्र खतरे में आ सकता है। पत्रकारिता को दबाने का मतलब गरीब, असहाय, कमजोर और देश की जनता की आवाज और दर्द और हक को दबाने की कोशिश है। देश के पत्रकारों को सच लिखने की आजादी होनी चाहिए। पत्रकारों को धमकी और सच लिखने से रोकने वालो पर सख्त कार्यवाही होनी चाहिए। ग्रामीण जिला अध्यक्ष ( एमपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन ) पत्रकार पवन यादव (जबलपुर) ने यह भी कहा की पत्रकारिता स्वतंत्र होनी चाहिए। प्रदेश सरकार से हमारी गुजारिश है कि पत्रकारों के ऊपर हो रहे उत्पीड़न के लिए कड़ी कार्यवाही का प्रावधान करना चाहिए। अगर उत्पीड़न ऐसे ही चलता रहा पत्रकारों पर तो वह दिन दूर नहीं जब सच लोगों से बहुत दूर होगा और झूठ लोगों की बहुत करीब। अधिकारी से लेकर राजनेता और पुलिस प्रशासन हर कोई अपने मन की करना चालू कर देगा। पत्रकारों पर दबाव का मतलब सीधा आम जनमानस के आवाज को दबाने का काम लगातार होता रहा है। देश का चौथा स्तंभ स्वतंत्र तो है पर कहीं ना कहीं आज भी देश के चौथे स्तंभ की स्वतंत्रता पर अंकुश लगता रहा है। पत्रकारों को धमकाने और पत्रकारों से दुर्व्यवहार करने वालों पर कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए।
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