बिहार : छोटे जिले ने बाल विवाह की कुरीतियों पर लगाम लगाकर दिया बड़ा संदेश


रिपोर्टर सतीश मिश्रा

शिवहर/बिहार/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। सूबे का सबसे छोटा जिला शिवहर ने बाल विवाह की कुरीतियों पर लगाम लगाकर बड़ा संदेश दिया है। शिवहर में पिछले पांच साल में बाल विवाह में साढ़े सोलह फीसद की गिरावट हुई है। भारत सरकार के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 के अनुसार वर्ष 2015-2016 में 51.1 फीसद बालिकाओं-किशोरियों के हाथ पीले कर दिए जाते थे। लेकिन अब यह आंकड़ा घटकर 34.6 फीसद रह गया है। इन पांच वर्षों में बाल विवाह में 16.5 फीसद की गिरावट हुई है। शिवहर जैसे पिछड़े इलाके जहां शिक्षा का अभाव है। जहां आज भी भूत-प्रेत जैसे अंध विश्वास बरकरार है, वहां बाल विवाह में कमी निश्चित रूप से बड़ी कामयाबी है। इस कामयाबी की सबसे बड़ी वजह हैं किशोरियों में आई जागरूकता।

गांव विकास मंच की भी भूमिका अहम

एक ओर सरकार द्वारा सात निश्चय योजना के तहत बाल विवाह पर रोक के लिए अभियान चलाए जा रहे है, वहीं मैट्रिक, इंटर और स्नातक पास करने पर कन्या उत्थान योजना के तहत राशि उपलब्ध कराने की वजह से भी बाल विवाह में गिरावट आई है। लेकिन, स्वयंसेवी संगठन गांव विकास मंच की भी भूमिका अहम रही है। इस संगठन द्वारा शिवहर की महिला जनप्रतिनिधियों और किशोरियों को जागरूक करने के लिए सुकन्या क्लब का गठन किया गया। यह क्लब पिछले पांच साल से लगातार विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए लोगों को जागरूक करती रही। इसकी वजह से लड़कियों ने कम उम्र में शादी से इन्कार करना शुरू किया। यहीं वजह हैं कि अब शिवहर में तस्वीर बदल गई है। गांव विकास मंच के अध्यक्ष नागेंद्र प्रसाद सिंह बताते हैं कि, उनकी संस्था पिछले पांच साल से महिला और किशोरियों को आत्म निर्भर बनाने में लगी है। इसके तहत गांव और वार्ड स्तर पर सुकन्या क्लब का गठन किया गया है। जहां किशोरियों को शिक्षा के लिए जागरूक किया जाता रहा। प्राथमिक विद्यालय से मध्य, मध्य से उच्चतर माध्यमिक और फिर कालेज तक किशोरियों को भेजने में कामयाबी पाई। साथ ही दहेज प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ भी किशोरियों को जागरूक किया गया। यही वजह हैं कि, तस्वीर में व्यापक बदलाव आया है। बताया कि, अनुसूचित जाति, अत पिछड़ा व अल्पसंख्यक समुदाय की किशोरियों के उच्च शिक्षा से जुड़ने से बाल विवाह पर रोक लगी।

जिला प्रशासन द्वारा शिवहर की आधा दर्जन किशोरियों को बिहार दिवस के अवसर पर सम्मानित किया गया। जबकि, एसडीओ मो. इश्तियाक अली अंसारी बताते हैं कि बाल विवाह और दहेज प्रथा, सरकार की सात निश्चय योजना में शामिल है। इसके लिए छापामार दस्ते का गठन किया गया है। प्रत्येक स्कूल के एक शिक्षक को नोडल शिक्षक बना जिम्मेदारी दी गई। बाल विवाह कराने पर अभिभावक के अलावा पंडित और मौलवियों को सजा का प्रावधान है। इसकी वजह से अब बाल विवाह के मामले में कमी आ रही है। फील्ड कोऑर्डिनेटर रंजू कुमारी बताती है कि इस अभियान को आगे बढ़ाने की जरूरत है। शिवहर में संस्था ने पांच साल की परियोजना पूरी कर ली है। अब सामाजिक व प्रशासनिक स्तर से अभियान को गति देने की जरूरत है। अन्यथा तस्वीर फिर लौट सकती है। शिवहर के पूर्व जिला पार्षद अजब लाल चौधरी भी मानते हैं कि, बाल विवाह दर में 16.5 फीसद की गिरावट, बड़ी उपलब्धि है। हालांकि, इस अंतर को कम करना चुनौती से कम नही है

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