रिपोर्टर सतीश मिश्रा
पटना/बिहार/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। बिहार विधानसभा के हालिया बजट सत्र के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच की तल्खी व झड़प के बाद बिहार के सियासी इतिहास की आज तक की पहली ऐसी घटना हुई, जिसमें विधानसभा के भीतर पुलिस तक बुलानी पड़ी। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सब अचानक हो गया? या इसकी पृष्ठभूमि बीते कुछ समय से लगतार बन रही थी? दरअसल, इसका आरंभ तो बिहार विधानसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद ही तब हो गया था। विधानसभा चुनाव के बाद राजनीति में पीढ़ी का बड़ा बदलाव दिखा है। इस बदलाव में सामंजस्य का अभाव भी तनाव का कारण बना है।
बिहार विधानसभा चुनाव बीते साल नवंबर में हुआ। सत्ता पक्ष व विपक्ष के रिश्तों में आई कड़वाहट के बीज वहीं पड़े थे। बीते 16 नवंबर को राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव की अगुवाई में विपक्ष ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार कर दिया था। विपक्ष का आरोप था कि सत्ता पक्ष ने महागठबंधन की जीत को जनमत का हरण कर हार में बदल दिया। इसके बाद से सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच के टकराव लगाातर बढ़े।
बिहार में मजबूत विपक्ष भी बना टकराव का बड़ा कारण
सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच टकराव का एक कारण लंबे समय बाद बिहार को मिला मजबूत विपक्ष भी है। 244 सीटों वाली बिहार विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच केवल 15 सीटों का फासला है। 90 के दशक के बाद से लगातार बिहार में सत्ता पक्ष बेहद मजबूत रहा था। पहले लालू प्रसाद यादव और बाद में नीतीश कुमार, दोनों को कभी मजबूत विपक्ष से पाला नहीं पड़ा। ऐसे में उनकी मजबूत विरोध सहने की आदत भी नहीं रही। ऐसे में जब राज्य की सबसे बड़े दल के रूप में उभरे आरजेडी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व उनकी सरकार को टारगेट करना शुरू किया तो कई मौकों पर वे आपा खोते दिखे है।
गठबंधन में अपनी हैसियत मजबूत करने की भी चुनौती
केवल 15 सीटों का अंतर दोनोंं पक्षों के लिए बड़ा मामला है। कम अंतर से सरकार चला रहे मुख्यमंत्री नीतीश सरकार पर बहुमत बनाए रखने का दबाव है तो विपक्ष इसे गिराने में कोई कसर छोड़ना नहीं चाहता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर एनडीए की एकजुटता बनाए रखते हुए गठबंधन में अपनी हैसियत मजबूत करने की भी चुनौती हे। नीतीश कुमार का जनता दल यूनाइटेड एनडीए में भारतीय जनता पार्टी से कम सीटें ले सका है।
एनडीए हो या महागठबंधन, दोनों में है नई टीम
एनडीए के अंदर भी पहले वाली बात नहीं रही। नीतीश कुमार के करीबी रहे उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को बीजेपी ने केंद्र की राजनीति में भेज दिया है। बीजेपी ने इसके साथ बिहार में आनी पूरी टीम में अहम बदलाव किए हैं। मुख्यमंत्री को इस नई टीम के साथ पहले वाला तालमेल बैठाना है। उधर, विपक्ष में भी लालू प्रसाद यादव की जगह तेजस्वी यादव के नेतृत्व में नई टीम है।
बिहार के एक वरीय नेता ने कहा कि बीते विधानसभा चुनाव के पहले तक सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, नेताओं के दायरे तय थे। दोनों पक्ष इस दायरे के अंदर रहते थे। लेकिन चुनाव के बाद पीढ़ी का बदलाव आया है। इस बदलाव के साथ भाषाई मर्यादा तार-तार होती रही है। साथ ही तनाव भी बढ़ा है।
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