रिपोर्टर मनीष कुमार
मोतिहारी/पूर्वी चम्पारण/बिहार/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। निजी विद्यालय और कोचिंग वाले निजी शिक्षकों ने कहा है कि कोरोना महामारी के चलते प्रबुद्ध होने के नाते हम लोगों ने 11 महीने से सरकार के सारे नियमोँ का पालन करते हुए अपने सभी शिक्षण संस्थान बंद रखे। जिसके वजह से हम लोगों को 1 वर्ष तक आर्थिक त्रासदी का सामना करना पड़ा, परंतु सरकार ने हमारे पीड़ित और प्रबुद्ध समाज को जो देश में शिक्षा का की नींव तैयार करते हैं, जो राष्ट्र निर्माता हैं फिर भी सरकार ना तो हमें किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता दे रही है और ना ही हमारे स्वरोजगार को सुचारू रूप से चलाने का कोई नियम संगत गाइडलाइंस जारी कर रही है। जिसके वजह से हम लोग आर्थिक तंगी के साथ-साथ बेरोजगारी और भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं।
निजी शिक्षकों ने सरकार से मांग की है कि सिनेमा हॉल की तरह 50% संख्या के साथ हमारी शैक्षणिक संस्थान भी खोला जाए, किसान सम्मान निधि की तरह हम सभी शिक्षकों के खाते में शिक्षक सम्मान निधि की तरह 6000 रुपये उनके खाते में जमा किया जाए, सरकार के सारे नियमों का पालन करने के लिए हम तैयार हैं बशर्ते सरकार हमें 50% संख्या या 30% संख्या या ऑड ईवन के तर्ज पर ही किसी तरह हमारे शिक्षण संस्थान को खोलने के लिए अलग से गाइडलाइंस या नीति निर्धारण करे, कोरोना एक ट्रांसपोर्टेड बीमारी है जो ज्यादातर महानगरों से ट्रेन से बस से प्लेन से आ रही है जिसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञों और सरकारों को भी है, फिर भी यह सुचारू रूप से चालू है और शिक्षा देश का रीढ़ एवम् मौलिक जरूरत है और शिक्षक इसके निर्माता तो हमारे स्वरोजगार पर तालाबंदी क्यों है, हमारे सभी निजी स्कूल संचालक को अन्य लोगों की तरह हर विशेष आर्थिक सहायता पूरे वर्ष का बिजली बिल माफ, लॉकडाउन में 1 दिन भी विद्यालय का बल्ब, पंखा नहीं चलाया/जला, बैंक द्वारा उपलब्ध कराए गए विद्यालय के गाड़ियों का ईएमआई सहूलियत के अनुसार जमा करने का आदेश दिया जाए, किराए के मकान में रहने वाले विद्यालय के मकान मालिक 1 वर्ष के किराया जमा करने के लिए छोटे विद्यालय के निदेशकों को दबाव बना रहे हैं जबकि कुछ भी बड़े विद्यालय को छोड़कर जिस की संख्या 3% है। जिले में जबकि माध्यम या छोटे विद्यालयों की संख्या प्रखंड से लेकर अनुमंडल तक लगभग 3000 से 4000 है जिन्होंने इस पूरे 11 महीने के लॉकडाउन में अपने विद्यार्थियों अभिभावकों से 1 रुपया नहीं लिया। यूपीएसए अध्यक्ष एसएस "राज" और यूपीएसए महासचिव रविरंजन ठाकुर "प्रफुल्ल" के साथ साथ
प्रखंड अध्यक्ष रामगढ़वा कृष्णा प्रसाद श्रीवास्तव, प्रखंड सचिव रामगढ़वा राजय सिंह, प्रखंड उपाध्यक्ष चंद्रशेखर मिश्रा जी, प्रखंड उपाध्यक्ष देव प्रकाश तिवारी, प्रखंड कोषाध्यक्ष बलराम सर्राफ सहित जिला कोषाध्यक्ष राजू शर्मा, वीर बहादुर, जेड अहमद, वाजिद खान, सुदीप जी, चंदन गुप्ता और मोहरलाल, राजीव, वाजिद खान, कलीम, अजीत प्रसाद, एमडी फैसुल्लाह, सुशांतसिंह राजपूत, अजीत कुमार सिंह, कलिमुल्लाह सहित रामगढ़वा प्रखंड के सभी निजी विद्यालय, निजी कोचिंग संचालक के निदेशकगण एवं सभी निजी शिक्षकों ने कार्यक्रम में सरकार के विरोध में मौन एवं सांकेतिक प्रदर्शन किया गया था।
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