मुंह पर मास्क नहीं, दो गज दूरी का पालन नहीं
रिपोर्टर सतीश मिश्रा
पटना/बिहार/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर पूरे बिहार में कड़े नियम लागू कर दिये गए हैं। बस सड़कें और बाजार ही ऐसे जगह हैं जहां मौजूद लोग कोरोना के खतरे और नए निर्देशों के प्रति अनजान लग रहे हैं। हों भी क्यों न, जब नियमों का पालन कराने की ज़िम्मेवारी ढोने वाले लोग ही इन्हें तोड़ते नजर आ रहे।
सिटी बस में खुद ड्राइवर के गले पर दिख रहा है मास्क। |
जिन पर थी ज़िम्मेवारी, वही तोड़ते दिखे नियम
सरकार की तरफ से जारी गाइडलाइन के मुताबिक सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में आधी सीटें ही भरी जानी है। जाहिर तौर पर बसों, ऑटो रिक्शा पर इसका सबसे ज्यादा असर दिखना चाहिए था। पुलिस वाले ही ऑटो रिक्शा में ड्राइवर की बगलवाली सीट पर लटककर बैठे दिखाई दिए। ये वही पुलिसवाले हैं जिन्हें सरकार ने कोरोना गाइडलाइन पालन करवाने का जिम्मा दिया है।
बिना मास्क दिखे दवा दुकानदार
दवा दुकानें इमरजेंसी सेवाओं का हिस्सा मानी जाती हैं। यही वजह है कि पिछले साल लगे संपूर्ण लॉकडाउन के दौरान भी दवा दुकानों को खोलने की छूट मिली थी। अभी लॉकडाउन नहीं हुआ है लेकिन उनसे नियमों के पालन की उम्मीद की जाती है। हमें इन दुकानों पर भी लापरवाही दिखी। चिरैयाटांड पुल के नीचे एक दुकान में दुकानदार से लेकर ख़रीददार तक बिना मास्क के मिले।
ताले में बंद हुए भगवान, लेकिन मंदिर के बाहर हुजूम
सरकार ने धार्मिक स्थलों को बंद करने का आदेश दिया है। इसके बाद हर रोज हजारों भक्तों की भीड़ और घंटियों की आवाज से गुंजायमान रहनेवाले पटना जंक्शन स्थित महावीर मंदिर वीरान हो गया है। महावीर मंदिर में ये वीरानी भले ही भक्तों को स्वस्थ रखने के लिए हो, लेकिन लोग अब भी भीड़ लगा रहे हैं। महावीर मंदिर के बाहर गोलंबर के पास बाजार में भीड़ जस की तस है और यहां कोरोना गाइडलाइन बेमतलब साबित हो रहा है।
ऑटो-बस में तोड़े जा रहे मास्क-डिस्टेंसिंग के नियम
कंकड़बाग टेम्पो स्टैंड पर हर रोज की तरह की ऑटो रिक्शा और सिटी सर्विस बसों की आवाजाही दिखी। इस आवाजाही के बीच न तो कोरोना का डर दिखा और ना ही मास्क का मतलब। सवारी हो या फिर ड्राइवर, कोरोना गाइडलाइन का इनके लिए कोई मतलब नहीं। मास्क नहीं लगानेवालों की तादाद हालांकि कम थी, लेकिन जो लगाकर निकले भी, उनमें अधिकतर ने इसे नाक-मुंह के नीचे ही दिखाई दे रहे हैं
पटना में कोरोना के प्रति लापरवाही का नतीजा है कि पूरे राज्य में सबसे अधिक मरीज यहीं मिल रहे हैं।
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