पटना में हंगामे और मारपीट से नाराज जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर, कोविड डेडिकेटेड अस्पताल में हाहाकार



पटना/बिहार/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। पटना के कोविड डेटीकेटेड अस्पताल एनएमसीएच से सामने आया है। जहां भर्ती कोरोना मरीज की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल में हंगामा करना शुरू कर दिया। उन्होंने न सिर्फ यहां तोड़फोड़ की बल्कि ड्यूटी पर मौजूद जेआर और नर्सिंग स्टाफ के संग मारपीट भी की। इस घटना के बाद एनएमसीएच के सभी जूनियर डॉक्टरों ने काम ठप कर दिया है। जिसके कारण यहां भर्ती दूसरे मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। देर रात अस्पताल प्रशासन की जूनियर डॉक्टरों के साथ बैठक चलती रही। बताया जाता है कि बक्सर निवासी संक्रमित महिला को 11 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने बताया कि मरीज की स्थिति गम्भीर थी। उसका ऑक्सीजन लेवल लगातार गिरता जा रहा था। ऐसी स्थिति में मरीज को बचाया नहीं जा सका।

उधर, महिला की मौत के बाद परिजन इलाज में लापरवाही का आरोप लगाने लगाकर हंगामा करने लगे। यही नहीं, परिजनों ने ट्रॉली पटक दी तथा पर्दे फाड़ दिए। स्थिति यह थी कि परिजनों के हंगामा देखते हुए पीजी डॉक्टर वहां से जान बचाकर भाग गये। इस दौरान अफरातफरी मची रही। हंगामे के बाद अधीक्षक के आश्वासन पर 12 घंटे बाद जूनियर डॉक्टर काम पर आज सुबह वापस लौट गए थे और हड़ताल खत्म हो गई थी. लेकिन इसी बीच फिर से ईएनटी वार्ड में परिजनों ने दो डॉक्टर की पिटाई कर दी और फिर से हंगामा होने लगा।

गुस्साए डॉक्टरों ने फिर से हडताल कर दी है। जिससे कोविड डेडिकेटेड अस्पताल में हाहाकार मच गया है। इधर अधीक्षक डॉ. विनोद सिंह ने जिला प्रशासन पर आरोप लगाया है कि डीएम को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग करने के बाद भी 15 घंटे हो गए मगर सुरक्षा नहीं मिली। महज छह सिपाही तैनात किए गए हैं। अधीक्षक ने साफ कहा कि हम ऐसी हालत में अपने डॉक्टरों से काम नहीं ले सकते हैं।

डॉक्टर ड्यूटी करें या पिटाई खाएं, अब अस्पताल चलाना संभव नहीं है। इस बीच जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रामचन्द्र ने चेतावनी दी है कि जब तक अस्पताल में पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती नहीं होती है, तब तक हड़ताल जारी रहेगी। हड़ताल के बाद पुलिस ने एक परिजन को फिलहाल हिरासत में ले लिया है और पुलिस उसे थाने ले गई है। यहां बता दें कि एनएमसीएच में लगभग 400 कोरोना मरीज भर्ती हैं। लेकिन इस वक्त भगवान भरोसे इलाज चल रहा है। उधर, अधीक्षक डॉ. विनोद कुमार सिंह ने कहा कि जूनियर डॉक्टरों को समझा-बुझाया जा रहा है।

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