छत्तीसगढ़ : कोरोना वायरस संक्रमण के मामले में ऑक्सीजन समेत जरूरी इंतजाम करे सरकार - उच्च न्यायालय



बिलासपुर/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले में राज्य सरकार को ऑक्सीजन समेत जरूरी इंतजाम करने के लिए कहा है।

उच्च न्यायालय में अधिवक्ता पलाश तिवारी ने बताया कि उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश की युगल पीठ ने राज्य में लगातार बढ़ रहे कोरोना वायरस संक्रमण और उससे हो रही मौतों को गंभीरता से लिया है। न्यायालय ने राज्य में ऑक्सीज़न, ऑक्सीज़न बेड आदि की उपलब्धता और आरटी-पीसीआर टेस्ट रिपोर्ट समेत कई मामलों पर जरूरी इंतजाम करने के लिए राज्य सरकार को निर्देश दिया है।

तिवारी ने बताया कि न्यायालय ने पिछले वर्ष कोरोना वायरस संक्रमण की पहली लहर के दौरान स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित में सुनवाई शुरू की थी जिस पर बिलासपुर के एक कांग्रेस नेता विजय केशरवानी एवं अन्य ने अलग-अलग हस्तक्षेप याचिकाएं दायर की थी। सोमवार को मुख्य न्यायधीश पी आर रामचन्द्र मेनन और न्यायधीश पी पी साहू की युगल पीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि कोविड-19 मरीजों को ऑक्सीज़न वाले बेड और वेंटिलेटर आदि उपलब्ध कराना राज्य सरकार की ज़िम्मेदारी है।

अधिवक्ता ने बताया कि इसी तरह राज्य के विभिन्न अस्पतालों में खाली बिस्तरों के संबंध में निर्देश दिया गया है कि राज्य सरकार केंद्रीकृत सूचना प्रणाली विकसित करे जिसमें राज्य के सभी जिलों के जिलाधिकारी और सीएमएचओ एक दूसरे से जुड़े रहें, इससे किस स्थान पर कौन सा ऑक्सीजन बेड खाली है, इसकी जानकारी वेबसाइट पर मिलेगी।

उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय ने कहा है,‘‘ राज्य सरकार यह सुनिश्चित करे कि ऑक्सीजन की कमी से किसी मरीज की मौत न हो। अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीज़न की आपूर्ति और उपलब्धता के लिए राज्य सरकार विवेकपूर्ण कदम उठाएं और इसकी कमी होने की अवस्था में औद्योगिक क्षेत्र की ऑक्सीज़न में कटौती करते हुए मेडिकल ऑक्सीज़न की आपूति की जाएं। औद्योगिक क्षेत्र भी अपनी कॉर्पोरेट सामाजिक ज़िम्मेदारी का निर्वहन करें।’’

अधिवक्ता ने बताया कि उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा,‘‘ कोविड -19 मरीजों की आरटी-पीसीआर टेस्ट रिपोर्ट आईसीएमआर की साइट पर अपलोड करने में विलंब हो रहा है। सरकार ऐसे मामलों में जांच रिपोर्ट तत्काल वेबसाइट पर अपलोड करने की व्यवस्था करे। अगर इस प्रक्रिया में देर होती है तब एसएमएस या फोन के माध्यम से इसकी जानकारी संबंधित लोगों को दी जाए जिससे वह समय रहते अपना इलाज शुरू कर सकें।’’

तिवारी ने बताया कि न्यायालय ने कहा है कि निजी अस्पतालों में कोविड मरीजों , जिन्हें ऑक्सीज़न और वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत रहती है, के लिए शुल्क बहुत ज्यादा है। उच्च न्यायालय ने कहा है कि सरकार निजी अस्पतालों के लिए कोविड ईलाज का शुल्क निर्धारित करें जिससे मरीजों का शोषण रोका जा सके।

अधिवक्ता ने बताया कि उच्च न्यायालय ने इन विषयों पर राज्य सरकार को स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है।

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