चुनावी हार को लेकर कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक 10 मई को, हंगामे के आसार

पार्टी की चुनावी पराजय और कोरोना से पैदा हुए हालातों पर चर्चा की सम्भावना

नई दिल्ली/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। कांग्रेस लगातार चुनाव हारने के बाद अब कांग्रेस हाल के विधानसभा चुनाव में हुई पराजय को लेकर समीक्षा करने के लिए तैयार हो गयी है।  इसी इरादे से पार्टी की कार्यवाहक अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 10 मई को पार्टी की सर्वोच्च इकाई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाने का फैसला किया है। सूत्रों के अनुसार यह बैठक हंगामेदार होने की संभावना जताई जा रही है।  

पार्टी सूत्रों का कहना था कि तमाम वरिष्ठ नेताओं ने कार्यसमिति की बैठक में सोनिया गांधी से यह पूछने का फैसला किया है कि आखिरकार पार्टी में महत्वपूर्ण फैसले कौन ले रहा है।  जिन पार्टी नेताओं ने यह सवाल उठाने का निर्णय लिया है, उनका सीधा हमला राहुल गांधी के नेतृत्व पर होगा क्योंकि  पार्टी अध्यक्ष न होते हुए भी राहुल और उनके सिपहसालार पार्टी के अंदर फैसले कर रहे हैं । जिससे अधिकांश वरिष्ठ नेता नाखुश हैं।  

सूत्रों ने दावा किया कि केरल के वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने कार्यसमिति की बैठक से पहले सोनिया गांधी को पत्र भेज कर इस बात पर नाराज़गी जताई है कि पश्चिमी बंगाल में माकपा से समझौता करने के कारण केरल में सत्ता विरोधी लहर होने के बावजूद कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। इन नेताओं का यह भी तर्क है कि बंगाल में यदि कांग्रेस ममता का समर्थन करती तो बड़ी संख्या में अल्पसंख़्यकों का मत कांग्रेस को मिलता।  

सोनिया गाँधी ने कार्यसमिति की बैठक के लिए जो अजेंडा तैयार किया है। उसमें पार्टी की चुनावी पराजय और कोरोना से पैदा हुए हालातों पर चर्चा की जानी है। ऐसे भी संकेत मिले हैं कि कार्यसमिति की बैठक में केरल  और असम के नेताओं को विशेष रूप से उपस्थित रहने को कहा जा सकता है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने लोकमत से बातचीत करते हुए खुल कर कहा कि अब समय आ गया है जब पार्टी को तय करना होगा कि  जो पार्टी के फैसले लेगा उसकी जवाबदेही भी सुनिश्चित हो।  

पार्टी अध्यक्ष पर तेज़ होते दवाब के बाद कार्य समिति संगठनात्मक चुनावों को लेकर चर्चा कर सकती है क्योंकि अधिकाँश ग्रुप 23 के नेता जल्दी चुनाव चाहते हैं जो सीधे सीधे राहुल गांधी के नेतृत्व को सीधी चुनौती देने की तैयारी है। पार्टी महासचिव के सी वेणुगोपाल, रणदीप सुरजेवाला, अजय माकन  सरीखे नेताओं को फैसलों से दूर रखने का स्वर भी इस बैठक में मुखर हो सकता है।  

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