कोलकाता/अक्षरसत्ता/ऑनलाइन। पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा के अनेक नेता तृणमूल कांग्रेस में वापस आना चाहते हैं। ये विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस में गए थे। कई नेता भाजपा से इस्तीफा दे चुके हैं और तृणमूल नेताओं के संपर्क में हैं।
पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चे के उपाध्यक्ष काशिम अली ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष को अपना इस्तीफा भेज दिया है। कभी मुकुल राय के करीबी रहे काशिम का दावा है कि वे कई और नेताओं के साथ तृणमूल में लौटना चाहते हैं। विधानसभा चुनाव से पहले शुभेंदु अधिकारी के साथ बीजेपी में शामिल हुए कविरुल इस्लाम ने भी यही दावा किया है। वे पहले तृणमूल अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के महासचिव थे। उन्होंने भाजपा से इस्तीफा दे दिया है।
तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष के अनुसार, "वे दोनों मेरे पास आए थे। लेकिन मैं कुछ नहीं कह सकता। और अनेक लोग आना चाहते हैं। वे विभिन्न तरीकों से संपर्क बना रहे हैं। कुछ तो यह कहकर रोना-धोना कर रहे हैं कि उनसे गलती हो गई। घोष के अनुसार पार्टी ने अभी तक उन लोगों पर फैसला नहीं किया है जो चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे।
तृणमूल में वापसी को लेकर काशिम और कविरुल का एक ही बयान है। 2016 में गेरुआ खेमे में शामिल हुए काशिम ने कहा, ''भाजपा में अल्पसंख्यकों के लिए काम करना संभव नहीं है। मैं अकेला नहीं हूं, मुस्लिम समुदाय के कई लोगों ने मुझसे तृणमूल से जुड़ने के लिए संपर्क किया है। मुझे उम्मीद है कि हमें माफ कर दिया जाएगा और वापस ले लिया जाएगा।” इसी तरह, कविरुल ने कहा, "भाजपा में शामिल होने के बाद, मुझे काम में ही नहीं लगाया गया। और जिस तरह से बीजेपी ने फिरहाद हाकिम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा को सीबीआई से गिरफ्तार करवाया है, वह गलत है।”
इतना ही नहीं, पिछले दिसंबर में भाजपा में शामिल हुए पुरशुरा से तृणमूल के पूर्व विधायक शेख परवेज रहमान भी भाजपा छोड़ने की बात कह रहे हैं। इनमें सबसे पहले काशिम भाजपा में शामिल हुए और अल्पसंख्यक मोर्चे के राज्य नेता के रूप में कार्य किया, इसलिए भाजपा को डर है कि वे कई अल्पसंख्यक नेताओं को अपने साथ लेकर जा सकते हैं। हालांकि राज्य नेतृत्व इस बात को खुलकर स्वीकार नहीं कर रहा है।
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