मुफ्त शिक्षा पाना हर बच्चे का संवैधानिक अधिकार, आयुष्मान भारत योजना से नहीं मिला इलाज : प्रशांत किशोर


नई दिल्ली/अक्षरसत्ता/ऑनलाइन। कोरोना वायरस की दूसरी लहर से देश में हजारों बच्चें अनाथ हो चुके है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इन बच्चों की सुध लेते हुए राज्य सरकारों से मदद करने के लिये निर्देश जारी किये। तो वहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने भी पहल करते हुए अनाथ बच्चों के मुफ्त शिक्षा से लेकर तमाम तरह की घोषणा की है। जिस पर राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने टिप्पणी की है। उन्होंने पीएम मोदी को याद दिलाया कि मुफ्त शिक्षा पाना हर बच्चे का संवैधानिक अधिकार है।

प्रशांत किशोर ने पीएम नरेंद्र मोदी के ट्वीट के बाद सरकार की तीखी आलोचना की है। इस बाबत किशोर ने ट्वीट करते हुए मोदी सरकार फिर से मास्टर स्ट्रोक लगाना चाहती है। केंद्र सरकार सहानुभुति का परिभाषा ही बदल दी है। उन्होंने व्यंग्य किया कि बच्चों को पीएम केयर्स का आभार व्यक्त होना चाहिये कि उनके मुफ्त शिक्षा के बारे में घोषणा की। लेकिन सरकार को नहीं भूलना चाहिये  बच्चों को मुफ्त शिक्षा पहले से ही संविधान से प्राप्त है। वहीं उन्होंने आयुष्मान भारत के फेल होने पर सरकार को लताड़ भी दी। उन्होंने कहा कि लोगों को आवश्यकता हुई तो बेड/ऑक्सीजन कुछ भी नहीं मिल सका।

मालूम हो कि देश भर में कोरोना की दूसरी लहर से लाखों लोगों ने अपना जीवन खो दिया है। जिससे ज्यादा असर बच्चों के भविष्य पर पड़ा है। इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके बच्चों को देश का भविष्य बताया। उन्होंने कहा कि महामारी से उपजे संकट के बाद सरकार इन बच्चों के साथ खड़ी है। इन बच्चों को सम्मानजनक जीवन और अवसर प्रदान करेगी। पीएम ने कहा कि 18 साल होने पर इन बच्चों को मासिक स्टाइपेंड दिया जाएगा। साथ ही 23 साल होने पर 10 लाख रुपये का फंड भी दिया जाएगा। साथ ही मुफ्त शिक्षा भी दी जाएगी।  

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