कविता : लौट आया कोरोना

लौट आया कोरोना


लौट आया वही कोरोना, बनकर और बलवान जी।

बच्चों रहना इससे बचकर, रहना है घर के अंदर।

नहीं घूमना बाजार कभी, मत जाना मेला-मंदर।

हाथ धोना मास्क लगाना, कभी नहीं तुम तो भूलो।

पार्क या बाग-बगीचे में, अभी नहीं तुम तो झूलो।

किसी से मिलना हो जरूरी, रखना दो ग़ज की दूरी।

कहना है सिर्फ अपना यही, होशियारी रखो पूरी।

कोरोना को मात मिलेगी, अगर रहे सावधान जी।

लौट आया वही कोरोना, बनकर और बलवान जी।

गोविन्द भारद्वाज

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