जे पी नड्डा और सोनिया गांधी। (फोटो सोर्स- सोशल मीडिया) |
जे पी नड्डा के सोनिया को लिखे खत के जवाब में कांग्रेस ने बोला हमला
नई दिल्ली/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा द्वारा सोनिया गांधी को लिखे पत्र के जवाब में कांग्रेस ने मोदी सरकार और भाजपा पर तीखा हमला बोलते हुए स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन के इस्तीफे की मांग कर डाली। उल्लेखनीय है कि जे पी नड्डा ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस पर हमला बोलते हुए पत्र लिख कर आरोप लगाया कि वे कोरोना को लेकर देश भर में भ्रम की स्थिति पैदा कर रही है और विपक्ष की रचनात्मक भूमिका की जगह सरकार के कामकाज में रोड़े अटका रही है।
कांग्रेस के महासचिव अजय माकन ने नड्डा को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि गंगा नदी में 150 लाशों का पाया जाना यह साबित करता है कि सरकार कोरोना से कैसे लड़ रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार आंकड़ों की बाज़ीगरी दिखा कर अपनी विफलता को छुपाने की कोशिश में जुटी है। शमशानों पर लगी लम्बी लाइने , फुटपाथों पर जलती लाशें , अस्पतालों के सामने दम तोड़ते मरीज इस बात के सबूत हैं कि मोदी सरकार अपनी ज़िम्मेदारियों से पूरी तरह विफल हो चुकी हैं।
कांग्रेस का यह भी आरोप था कि सरकार अहंकार में डूबी है और वह डॉक्टरों , स्वास्थ्य विषज्ञों की सलाह की अनदेखी कर रही है। माकन ने याद दिलाया कि जब देश में मात्र 3 कोरोना के मामले थे तब 12 फरवरी 2020 को कांग्रेस ने सरकार को चेतावनी दी थी, 17 मार्च को जब 137 केस हुए कांग्रेस ने फिर चेताया , 26 मार्च को जब 730 केस हुए कांग्रेस ने इस महामारी से निपटने के लिए क्या किया जाए इन सुझावों के साथ सरकार को लिखा लेकिन मोदी सरकार ने उन चेतावनियों की अनदेखी की और सोती रही।
मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, राहुल गांधी बार बार सरकार को विशेषज्ञों की राय के आधार पर कोरोना से निपटने के उपाय सुझाते रहे लेकिन अहंकार में डूबी मोदी सरकार अपने राजनीतिक स्वार्थों को पूरा करने में लगी रही। 19 फरवरी को स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन कहते हैं कि बाबा रामदेव की करोनिल दवा कोरोना से बचा लेगी, जिस देश का स्वस्थ्य मंत्री इस तरह की बात करता हो उसे अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
माकन ने नड्डा को सलाह दी कि वे कांग्रेस पर ऊंगली उठाने की जगह सरकार के कामकाज और उसके तौर-तरीकों की समीक्षा करें तो बेहतर होगा क्योंकि इस सरकार ने लोगों को मरने के लिए अपने हाल पर छोड़ दिया है और अपनी ज़िम्मेदारियाँ राज्य सरकारों के मत्थे मढ़ दी हैं।
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