बिहार : ग्रामीण इलाकों में तेजी से फ़ैल रहा है कोरोना, गाँवों में अचानक बढ़ी मौतें


पटना/बिहार/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। बिहार में कोरोना के कहर के कम होने का दावा भले ही राज्य सरकार के द्वारा किया जा रहा है, लेकिन यह दावा केवल शहरी क्षेत्रों के आधार पर किया जा रहा है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिती भी काफी भयावह होती जा रही है। कोरोना से गांव की क्या स्थिति है इस पर कोई जल्दी बात नहीं करता। लेकिन सच्चाई यह है कि कोरोना की दूसरी लहर में सबसे ज्यादा प्रभावित दूर-दराज के गांव हुए हैं।

बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की मौत कोरोना की वजह से हो रही है या फिर सबकी मौत सामान्य कारणों से इस पर कोई भी खुलकर बोलने को तैयार नही दिख रहा है। इन ईलाकों में अब तक कोई प्रशासनिक पहल नहीं की गई है। इस वजह से यह संक्रमण कितनी तेजी से बढ रहा है। 

कैमूर जिले के मोहनिया प्रखंड के बम्हौर खास गांव में एक महीने में एक दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिससे ग्रामीणों में दहशत व्याप्त है। मौत कोरोना के कारण हुई है या नहीं यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। प्रशासन इसे स्वाभाविक मौत बता रहा है, लेकिन ग्रामीणों की मानें तो मरने वालों में कुछ के पास सर्दी खासी बुखार से संबंधित लक्षण थे। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारीयों ने कहा की बम्हौर खास में ग्रामीणों द्वारा मौत होने की बात बताई जा रही है। लेकिन कोरोना से सभी मौत हुई है। इसका प्रमाण नहीं मिला है। 

वहीं, बांका जिले के गिद्दौर की कोल्हुआ पंचायतके धोबघट गांव में 13 मई को आई रिपोर्ट में 46 लोग कोरोना संक्रमित बताए गए। वहीं बीते 7 दिनों में 2 लोगों की मौत भी हुई है। लोगों ने बताया कि यहां 6 अप्रैल को एक युवक भोपाल से आया था। गांव आने के बाद उसे सर्दी खांसी हुई और जांच में वह युवक कोरोना पॉजिटिव निकला। इसके पहले ही वह पूरे गांव के साथ घूम चुका था। उसके बाद से गांव के हालात बिगडे हुए हैं। 

इसी बीच इसी गांव में 8 से 14 अप्रैल को श्रीमद्भागवत कथा का पाठ हुआ था। इसमें बाहर से आए कथावाचक ही कोरोना संक्रमित निकले। इसके बाद गांव में कोरोना का प्रकोप ऐसा हुआ कि एक दिन में 46 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। इतना सब होने के बाद भी गांव में सभी कार्यक्रम पूर्व नियोजित तरीके से किए जा रहे हैं। गांव में शादियां हो रही है, श्राद्ध हो रहे हैं और सब कुछ उसी तरीके से हो रहा है जैसा कि उसे होना चाहिए। यहां किसी भी कोरोना गाइडलाइंस का पालन नहीं किया जा रहा है।

उधर, रोहतास जिले के मल्हीपुर गांव की स्थिति भी कुछ खास अच्छी नहीं है। इस गांव में करीब साढे सात हजार लोग रहते हैं। यहां एक बार भी कोरोना की जांच नहीं की गई है। इसी गांव में अब तक 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। जान गंवाने वाले ज्यादातर बुजुर्ग लोग थे। यहां भी लोगों में जागरूकता की कमी है। उसीतरह बेतिया से 95 किलोमीटर दूर बगहा का नौरंगिया पंचायत भी स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित है। 

यहां के लोग बीमारियों से उभरने के लिए घरेलू नुस्खे या फिर भगवान पर निर्भर हैं। आज भी लोगों को खांसी जुकाम होता है तो वह मानते हैं कि उन्हें टाइफाइड हुआ है। डरावनी बात यह है कि यहां बीते 13 दिनों में 12 लोगों की मौत हो चुकी है। गांव में दवा दुकान चलाने वाले व्यक्ति बताते हैं कि उनके यहां सिर्फ सर्दी जुकाम और बुखार की दवा ही बिक रही है। यहां के लोगों को कोरोना की बिल्कुल भी जानकारी नहीं है और ना ही इस तरफ से प्रशासन ने किस कभी कोई पहल की।

वहीं ,सीतामढी जिले के कई गांवों की भी स्थिती भयावह बनी हुई है। पिछले एक सप्ताह में दर्जनों लोगों के मौत हो चुकी है। सैकडों लोग सर्दी-खांसी और बुखार के साथ सांस लेने की समस्या से गंभीर स्थिती में हैं। इसकी जानकारी मिलने पर स्वास्थ्य विभाग की टीम अब उन गांवों तक पहुंची है। हालांकि प्रशासन की ओर से यह कहा जा रहा है कि अबतक जो मौतें हुई हैं वह सभी सामान्य कारणों से हुई हैं। 

उधर वैशाली जिले में भी कई गांवों की भयावह तस्वीरें सामने आ रही हैं। सैकडों लोग आक्रांत हैं और कई की जान जा चुकी है। लेकिन इन मौतों के कारण कोरोना से होने की पुष्टी करने से प्रशासन हिचक रहा है। यह महज कुछ उदाहरणमात्र हैं। 

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