परिंदों को भा गया बालाघाट, गणना में मिले 47 से अधिक सारस


बालाघाट/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। पर्यावरण एवं वन्यजीव संरक्षण और संवर्धन के किए काम करने वाली संस्था गोंदिया बालाघाट टूरिज्म प्रमोशन काउंसिल और वन विभाग हर साल पारंपरिक और शास्त्रीय पद्धति से सारसों की गणना करते हैं। इस साल हुई गणना में एक खुशखबरी मिली है। दरअसल बालाघाट में 47 सारस पाए गए हैं।

इस साल भी 6 दिनों तक चली सारस गणना में बालाघाट और गोंदिया जिले में कुल 70 और 80 स्थानों पर बालाघाट टूरिज्म प्रमोशन काउंसिल के सदस्यों, स्थानीय किसानों, सारस मित्र और वन विभाग गोंदिया और बालाघाट के अधिकारी कर्मचारियों ने सारस गणना को पूरा किया है।

कलेक्टर दीपक आर्य ने बताया गया कि बालाघाट जिले में 47, गोंदिया जिले में 39 और भंडारा में 2 सारस की गणना की गई जिससे अधिकारी खुश है। विशेषकर बालाघाट जिले में सबसे अधिक सारस पाया जाना खुशी की बात है। बालाघाट के किसानों से अपील की गई कि सारस के घोंसलों को किसी भी प्रकार से नुकसान ना पहुंचाया जाये। वहीं हर साल 10-12 जोड़े सारस की संख्या में वृद्धि देखी जा सकती है। हर एक  किसान और ग्रामीण को जागरुक रहकर इनके संरक्षण के लिए काम करना चाहिए। इससे बालाघाट जिला सारस के लिए पहचाना जायेगा।

बालाघाट जिले के लिए 18 और गोंदिया भंडारा जिले में 23 टीमें बनाकर सारस के विश्रांती स्थल पर सुबह 5 बजे पहुंचकर 10 बजे तक अलग अलग जगहों पर जाकर गणना की गयी। प्रत्येक टीम में 2 से 4 सेवा संस्था के सदस्य और वनविभाग कर्मचारियों को शामिल किया गया था। सारस गणना के सदस्यो ने हर साल सारस के विश्राम स्थल, प्रजनन, अधिवास और भोजन के लिए प्रयुक्त भ्रमण पथ की मानीटरिंग की जाती है।

भौगोलिक दृष्टिकोण से नदी के दोनों ओर के प्रदेश की जैवविविधता मे काफी समानता पायी जाती है। कुछ सारस के जोड़े अधिवास और भोजन के लिए दोनों ओर के प्रदेशों में समान रूप से विचरण करते पाये जाते हैं। सीमाओं का बंधन उनके लिए मायने नहीं रखता है।

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