पटना/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा आज बुलाई गई कैबिनेट की बैठक में पंचायती राज विभाग के उस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई है, जिसमें परामर्शी समिति में अध्यक्ष-सदस्य बनाने का निर्णय लिया गया है। पंचायत के मुखिया जी अब पंचायत परामर्शी समिति के अध्यक्ष होंगे। वहीं जिला परिषद के अध्यक्ष जिला परिषद परामर्श समिति के अध्यक्ष तो प्रमुख पंचायत समिति परामर्शी समिति के अध्यक्ष होंगे।
उल्लेखनीय है कि त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्था का कार्यकाल 15 जून को खत्म हो रहा है फिर भी पंचायत प्रतिनिधि काम करते रहेंगे। चुनाव होने तक सिर्फ नाम में परिवर्तन होगा। 16 जून से सभी पंचायत प्रतिनिधि परामर्श समिति के अध्यक्ष या सदस्य के तौर पर काम करेंगे। अगला चुनाव होने तक यह वैकल्पिक व्यवस्था बनी रहेगी। वार्डो में गठित प्रबंधन एवं क्रियान्वयन समिति भी काम करती रहेगी।
बिहार में 38 जिला परिषद, 534 पंचायत समिति और 8386 ग्राम पंचायत है। 16 जून से इन सभी पंचायती राज संस्थाओं में जनप्रतिनिधि परामर्शी समिति के अध्यक्ष या सदस्य कहे जाएंगे। बिहार कैबिनेट ने सप्तदश बिहार विधानसभा के द्वितीय सत्र तथा विधान परिषद के 197 वें सत्र के सत्रावसान पर मंत्री परिषद की मंजूरी मिली है। बिहार में वर्ष 2016 में गठित त्रि-स्तरीय पंचायती राज संस्थाएं और ग्राम कचहरियां 15 जून के बाद भंग हो जाएंगी।
इसके बाद भी पंचायत और ग्राम कचहरी के निर्वाचित प्रतिनिधि पूर्व की तरह काम करेंगे। पर, इनका पदनाम बदल जाएगा। 16 जून से ये सभी प्रतिनिधि बतौर परामर्शी समिति अध्यक्ष और सदस्य के रूप में काम करेंगे।गौरतलब है कि समय पर पंचायत और कचहरी के चुनाव नहीं होने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। वैकल्पिक व्यवस्था राज्य सरकार ने की है, ताकि पंचायतों के काम रुके नहीं।
विकास प्रभावित नहीं हों। 15 जून तक नये निर्वाचित प्रतिनिधियों का शपथग्रहण हो जाना था। पर, शुरुआत में ईवीएम को लेकर अंतिन निर्णय नहीं हो सका। भारत निर्वाचन आयोग और राज्य निर्वाचन आयोग के बीच ईवीएम पर सहमति नहीं बनने के कारण यह मामला पटना उच्च न्यायालय में गया। फिर ईवीएम पर सहमति बनी, पर इसी बीच कोरोना संक्रमण के मामले अचानक बढ़ गए। इसके बाद चुनाव की प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया। संभावना जताई जा रही है कि इसी साल सितंबर-अक्टूबर तक ग्राम पंचायत और कचहरी के चुनाव कराए जा सकते हैं।
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