पटना/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। लोजपा में हुई बड़ी टूट से महागठबंधन के कान खडे़ हो गये हैं। एनडीए बिहार महागठबंधन में खेला कर सकती है। एनडीए की मंशा को भांपते हुए महागठबंधन के नेताओं ने एक दूसरे से वर्चुअल रूप में संवाद किया है। दरअसल, महागठबंधन और एनडीए के बीच विधानसभा में सीटों का फासला बेहद कम है। यही नाजुक फासला महागठबंधन के लिए सत्ता की संभावना बनाता है।
सूबे के सियासी जानकारों के मुताबिक राज्य के अंदर राजद नेतृत्व वाले महागठबंधन पर मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाने का यह एनडीए का पहला आक्रामक वार है। महागठबंधन में कांग्रेस विधायक दल सबसे नाजुक कड़ी कांग्रेस है, जिसको लेकर एनडीए में खासा उत्साहित दिख रहा है।
जानकारों का मानना है कि अगर एनडीए ने महागठबंधन में सेंध लगा दी तो वह विधानसभा में अपनी ताकत को संख्या बल के हिसाब से सुरक्षित स्थिति में ले जा पाने में सफल होगा। यही नहीं इसके जरिए वह अपने ही छोटे-छोटे सहयोगी दलों की महात्वाकांक्षा पर भी ब्रेक भी लगा सकता है। इससे छोटे दलों के बडे़ नेताओं के चुभने वाले बोल पर ब्रेक लगाने की उसकी मंशा भी सफल हो जायेगी।
कारण कि ये दल एनडीए सरकार के स्थायित्व के लिए चुनौती भी बने हुए हैं. ऐसे मेम एनडीए ने लोजपा को तोड़कर यह संकेत दे दिया है कि उसकी निगाहें और भी जगहों पर है। सूत्रों की अगर मानें तो अब एनडीए के निशाने पर महागठबंधन का कमजोर घटक दल कांग्रेस होगा। इससे महागठबंधन हाई अलर्ट पर है।
महागठबंधन के नेताओं को पता है कि अगर कांग्रेस के विधायक छिटके तो सत्ता पाने की महागठबंधनीय लालसा धरी की धरी रह जायेगी़। क्योंकि सत्ता प्राप्ति के लिए जरूरी विधायकों की संख्या की तुलना में एनडीए को कम बढ़त, बड़ी बढ़त में तब्दील हो जायेगी। सीटों की इस खाई को पाटना फिलहाल पांच साल पाटना टेढ़ी खीर साबित हो जायेगा।
ऐसे में एनडीए के घटक दलों को सत्ता की चाशनी छिटकने नहीं देगी। फिलहाल महागठबंधन में राजद और वाम दल अटूट हैं। वहीं, कांग्रेस की कथित रूप में कमजोर कडी को मजबूत बनाने के लिए महागठबंधन के नेता कांग्रेस आलाकमान से संपर्क में हैं।
हालांकि प्रदेश कांग्रेस के नेता ताल ठोक कर एनडीए के खिलाफ आक्रामक नहीं दिख रहे हैं। इससे हाल ही में कांग्रेस टूटने की आई चर्चाओं को और बल मिल रहा है। ऐसे में यह संभव है कि आने वाले दिनों में एनडीए के नेता बिहार में नया खेला दिखा सकते हैं।
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