विश्व सिकल-सेल रोग जागरूकता दिवस पर वेबिनार का आयोजन
रिपोर्टर सतीश मिश्रा
पटना/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। बिहार एसोसिएशन ऑफ पर्सन्स वीथ डिसएब्लिटीज एवं बिहार थैलेसीमिया पैरेंट्स एसोसिएशन के तत्वाधान में विश्व सिकल-सेल रोग जागरूकता दिवस के अवसर पर गूगल मीट प्लेटफॉर्म के माध्यम से ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सिकल सेल रोग के प्रति लोगों को जागरूक करना।
आज वेबिनार के मुख्य अतिथि डॉ. शिवाजी कुमार (दिव्यांगजन विशेषज्ञ सह पूर्व राज्य आयुक्त नि:शक्तता, बिहार सरकार) एवं विशिष्ट अतिथि डॉ. अविनाश कुमार सिंह (रक्त रोग विशेषज्ञ, पारस हॉस्पिटल) ऑनलाइन उपस्थित थे। साथ ही संदीप कुमार (नेशनल ट्रेनर), प्रियांका मिश्रा ((सचिव, बिहार थैलेसीमिया पैरेंट्स एसोसिएशन), सुगन्ध नारायण प्रसाद (सचिव, बिहार एसोसिएशन ऑफ पीडब्ल्यूडी), संतोष कुमार सिन्हा (सीईओ, समर्पण), धीरज कुमार (मिडिया प्रभारी), शिवप्रसाद, धीरज कुमार (दिव्यांग अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ी), राहुल कुमार, शहबाज अहमद, हरिमोहन सिंह, रक्त विकार से ग्रसित लोग एवं उनके अभिभावकगण, दिव्यांगजन, पुनर्वास विशेषज्ञ, सिविल सोसाईटी, मेडिकल स्टाफ, पारामेडिकल स्टाफ, सभी गांव, पंचायत, प्रखण्ड, सवडिविजन, जिला, प्रमण्डल एवं राज्य स्तर पर गठित डी.पी.ओ. (दिव्यांगजन) सैंकड़ो लोगों ने ऑनलाइन भाग लिया।
मुख्य अतिथि डॉ. शिवाजी कुमार ने बताया कि सिकल सेल रोग एक आनुवांशिक बीमारी है। सिकल सेल रोग में समान्य लाल रक्त कोशिकाएं उभयावतल डिस्क के आकार का होती है और रक्तवाहिकाओं में आसानी से प्रवाहित होती है लेकिन सिकल सेल रोग में लाल रक्त कोशिकाएं का आकार अर्धचंद्र/हंसिया (सिकल) जैसा हो जाता है। ये असमान्य लाल रक्त कोशिकाएं कठोर और चिपचिपा होती है तथा विभिन्न अंगों में रक्त प्रवाह का अवरूद्ध करती है। अवरूद्ध रक्त प्रवाह के कारण तेज दर्द होता है और विभिन्न अंगों को क्षति पहुंचाता है।
बिहार में सिकल सेल से ग्रसित लोगों की संख्या कम
बिहार में सिकल सेल से ग्रसित लोगों की संख्या कम है लेकिन झारखण्ड, छत्तीसगढ़ में ज्यादा ग्रसित हैं। आरपीडब्ल्यूडी एक्ट-2016 (दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016) में तीन रक्त संबंधित थैलेसिमिया, सिकल-सेल रोग एवं हीमोफीलिया/अधिरक्तस्राव रोगों को दिव्यांगता के श्रेणी में रखा गया है। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा रक्त संबंधित बीमारियों से ग्रसित लोगों के उपचार एवं आसानी से खून उपलब्धता के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है।
डॉ. अविनाश कुमार सिंह (रक्त रोग विशेषज्ञ, पारस हॉस्पिटल) ने बताया कि सिकल सेल रोग अनुवांशिक जनित बीमारी है। सिकल सेल रोग आमतौर पर बाल्यवस्था में उत्पन्न होता है। सिेकल सेल दो तरह के होते हैं माइनर एवं मेजर। यदि माता-पिता में से एक को सिकल रक्त की कमी है और दूसरे में सिकल सेल के लक्षण हैं तो बच्चे को सिकल सेल रोग होने की 50 प्रतिशत संभावना होगी। जब माता-पिता, दोनों में सिकल-सेल लक्षण होते हैं, तो एक बच्चे को सिकल सेल रोग होने की संभावना 25 प्रतिशत होती है। सिकल सेल रक्त की कमी, सिकल सेल रोग का एक विशिष्ट प्रकार है, जिसमें उत्परिवर्तन के सम्युग्मजता होती है। भारत में लगभग एक लाख इस रोग से ग्रसीत हैं।
उन्होने बताया कि सिकल सेल से पीडि़त लोगों को इलाज एवं वैक्शिनेशन करवाते रहना चाहिए। इस रोग से ग्रसित लोगों को ज्यादा पानी, आयरण, हाई प्रोटीनयुक्त एवं हेल्दी डाइट लेनी चाहिए। उन्होंने लोगों द्वारा पूछे गये सवालों का जवाब भी दिये एवं सिकल सेल के उपचार के बारे में विस्तृत रूप से बताया।
ऑनलाइन वेबिनार में शामिल लोगों ने काफी सराहा एवं ज्ञानवर्धक बताया तथा लोगों द्वारा सिकल सेल रोग एवं रक्त संबंधित बीमारियों के बारे में सवाल किया गया जिसका जबाव विशेषज्ञों द्वारा दिया गया। इस तरह के कार्यक्रम से लोगों में जागरूकता फैलेगी एवं लोग जागरूक होंगे।
ऑनलाइन वेबिनार का संचालन धीरज कुमार के द्वारा एवं वोट फॉर थैंक्स संदीप कुमार द्वारा किया गया।
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