बाल कविता
चिड़िया
दाना चुग्गा चुगने को, आंगन में आती चिड़िया।
मीठा सा प्यारा कलरव, आकर हमें सुनाती चिड़िया।
तिनका तिनका लाकर के, प्यारा नीड़ बनाती चिड़िया।
इधर उधर फिरे फुदकती, मन को खूब लुभाती चिड़िया।
देख सिकोरा आंगन में, पानी पीने आती चिड़िया।
घूंट-घूंट कर पानी पीकर, मस्ती में नहाती चिड़िया।
रोजाना आकर चिड़िया, रोज सुबह जगाती चिड़िया।
काम करो सभी समय पर, यही सीख सिखाती चिड़िया।
- भूपसिंह ‘भारती’
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