बिहार : केसरिया में स्थापित विश्व प्रसिद्ध बौद्ध स्तूप की प्रतिमा स्थल पर पुख्ता इंतजामों की कमी


देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए 6 करोड़ से बने कैफेटेरिया के नहीं बन पाई सड़क
क्या विधि एवं गन्ना मंत्री प्रमोद कुमार इस ओर देंगे ध्यान  

रिपोर्टर अशरफ आलम
केसरिया/पूर्वी चंपारण/बिहार/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। केसरिया में स्थापित विश्व प्रसिद्ध बौद्ध स्तूप की प्रतिमा काफी गौरवशाली है। अगर इसे किसी ने नहीं देखा है तो इस ऐतिहासिक स्मारक को देखने की ललक जाग उठती है। और यही कारण है कि यहां लॉकड़ाउन के पूर्व प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में दर्शनार्थियों व विदेशी पर्यटकों के आने जाने का सिलसिला शुरू हो जाता है। यह स्तूप चकिया से 22 किमी, मुजफ्फरपुर से 75 किमी, वैशाली से 55 किमी, सोनपुर से 80 किमी, पटना से ११० और कुशीनगर से 125 किमी की दूरी पर स्थित है। वहीं इसकी ऊंचाई 104 फीट है‌। जबकि इंडोनेशिया में स्थित बौद्ध स्तूप की उंचाई 103 फीट है। जिसे विश्व प्रसिद्ध बोरोबुदुर (जावा) के नाम से जाना जाता है। ये दोनों स्तूप छ: तल्ले वाले हैं। जिसके प्रत्येक दिवाक खण्ड में भगवान बुद्ध की प्रतिमा स्थापित है। इस स्तूप में लगी ईंट प्राचीन काल की बताई जाती है। 

गौरतलब हो कि पूर्वी चंपारण जिले की भौगोलिक, ऐतिहासिक एवं पुरातत्विक विरासत युगों से रही है। केसरिया के ढेकहां में धवल राम व कर्ता राम का मंदिर है। जिस पर लोगों में विश्वास है। वहीं केसरिया में उत्तर बिहार के सुप्रसिद्ध बाबा बटुकेश्वर नाथ की मंदिर जहां साल में एक बार श्रावण माह के समय आस्था का जनसैलाब उमड़ता है। मुगल सल्तनत के समय की स्थापना की गई बहुआरा में स्थापित मठ में कई देवी देवताओं की प्रतिमाएं हैं। ऐसी कई प्राचीन काल में स्थापित किये गये ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण के बगैर हालत गंभीर होती जा रही है। 

विश्व प्रसिद्ध बौद्ध स्तूप का जितना उत्खनन होता है और उसे आकर्षक रुप दिया जाता है लगता है कि अब इसका कायाकल्प हो जाएगा। लेकिन कुछ दिनों बाद उत्खनन कार्य रुक जाता है और पहले से कहीं ज्यादा उस पर घास उग आती है। यह पहले की तरह हो जाता है। आखिर कब तक इस स्तूप के उत्खनन का कार्य पूर्ण होंगे। और कब तक यह इसका  सौन्दर्यीकरण होगा। ये कहना मुश्किल ही नहींं नामुमकिन भी लगने लगी है। ज्ञात हो कि इन दिनों इसके उत्खनन का कार्य काफी लंबे अरसे से बंद पड़ा है।जहां लॉक ड़ाउन से पहले स्तूप का दर्शन करने सैकड़ों की संख्या में देशी-विदेशी सैलानी आते थें। स्तूप के दीदार से रोमांचित हो कर यहां की यादों को सहेजते हुए लौट जाते थे। मगर बौद्ध स्तूप  को देखने आये सात समुंदर पार से इन सैलानियों की बुनियादी जरूरतों के लिए सुविधाओं व संरचनाओं को अबतक विकसित नहीं किया गया। जो थोड़े बहुत है भी वो अभी भी उपयोग की स्थिति में नहीं है। जैसे छः करोड़ की लागत से नवनिर्मित कैफेटेरिया विदेशी पर्यटकों के सुविधाओं के मद्देनजर बनाया गया। जिस में जाने के लिये रास्ता ही नहीं है। यह कैफेटेरिया बिहार सरकार द्वारा स्तूप परिसर के बाहर स्टेट हाईवे 74‌ के किनारे बनाया गया है। जिसका निरीक्षण बिहार सरकार के मुख्य सचिव दीपक कुमार एवं बिहार सरकार के पर्यटन विभाग के प्रधान सचिव रवि परमार सहित जिले के कई अधिकारियों द्वारा किया गया है। इसी तरह विगत वर्ष जिलाधिकारी रमण कुमार ने इस कैफेटेरिया का निरीक्षण के दौरान उन्होंने कहा कि इसकी सौन्दर्यीकरण की कवायद तेज कर दी गई है। जिसका रिजल्ट काफी जल्दी दिखाई देगा। लेकिन दो साल होने को है। अभी तक सब वैसे का वैसे है । कैफेटेरिया बना इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है लेकिन इसमें जाने के लिये पहुंच पथ के लिये जमीन लेने का कार्य अभी तक ठंडा बस्ते में है। इतना ही नहीं विश्व प्रसिद्ध बौद्ध स्तूप कहने में गौरवान्वित महसूस करते हैं लेकिन सुविधाओं का घोर अभाव है। इस परिसर में शौचालय निर्माण की समस्या, बाढ़ में क्षतिग्रस्त चारदीवारी की मरम्मत, स्तूप परिसर में रौशनी, जल जमाव, पार्क, देशी-विदेशी पर्यटकों के ठहरने की  सुविधा नहीं  है। बहरहाल इस कैफेटेरिया का आलम ये है तो प्रखंड परिसर में नवनिर्मित व्हाईट इससे कुछ कम नहीं है। जानकारी के अनुसार व्हाईट हाउस का निर्माण पर्यटकों के ठहराव के मद्देनजर समस्या कम करने के उद्देश्य से बनाया गया था। जिस पर यहां के स्थानीय बीडीओ, सीओ व अन्य पदाधिकारियों के रहने का विश्रामागाह बन कर रह गया है। इस प्रशासनिक अधिकारियों का कब्जा है। वर्षों से अधिकारी इस पर कुंडली मारकर  बैठे हैं। तो विदेशी पर्यटकों को तो बैरंग वापस जाना ही पड़ेगा। वहीं मुख्य सचिव दीपक कुमार ने बताया कि पर्यटकों के सुविधा के लिए अन्य कार्य को प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाएगा। हालांकि पूर्वी चंपारण जिले के मोतिहारी के विधायक प्रमोद कुमार पूर्व में पर्यटन मंत्री और अब विधि एवं गन्ना मंत्री हैं। फिर भी विश्व को गौरवान्वित करने वाला बौद्ध स्तूप और पर्यटकों के लिए बने छः करोड़ रुपए की लागत से नवनिर्मित कैफेटेरिया अब भी अपने लिए सड़क बनाये जाने का इंतजार कर रहा है।

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