बालाघाट : मारपीट से महिला की मौत मामले में कार्यवाही की मांग


आदिवासी गोवारी समाज ने सौंपा ज्ञापन, पुलिस आरोपियों को दे रही संरक्षण- महेश सहारे
बालाघाट/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। किरनापुर थाना अंतर्गत 7 जून को जामड़ी निवासी 50 वर्षीय महिला श्रीमती मीराबाई पति भीवराम सरवरे की मारपीट से घायल होने के बाद मौत मामले में मारपीट करने वाले आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही किये जाने की मांग को लेकर आदिवासी गोवारी समाज जिलाध्यक्ष महेश सहारे के नेतृत्व में पति, बेटी और सामाजिक लोगों ने ज्ञापन सौंपा। इस मामले में अब तक आरोपियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होने, पति की रिपोर्ट पर केवल दो लोगों पर किरनापुर पुलिस द्वारा मामला दर्ज किये जाने और लगातार पीड़ित परिवार को ही किरनापुर पुलिस द्वारा मानसिक रूप से मामले में अन्य आरोपियों के नाम नहीं लिखवाने को लेकर प्रताड़ित किये जाने की बात कहते हुए आदिवासी गोवारी समाज जिलाध्यक्ष महेश सहारे ने किरनापुर पुलिस पर आरोपियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है। 

इस दौरान समाज संगठन से कमल प्रसाद मंडलवार, परसराम गुरबेले, राजेश कारसर्पे, संजु वाघाड़े, संजय सरवरे, राजकुमार ठाकरे, रामेश्वर सोनवाने, महिपाल शेंद्रे, छन्नाराम शेंद्रे, परमानंद नागोसे, श्रीराम मंडलवार, धर्मेन्द्र नागोसे सहित अन्य सामाजिक लोग उपस्थित थे।

पुलिस अधीक्षक को जिला आदिवासी गोवारी समाज के प्रतिनिधिमंडल के साथ ज्ञापन सौंपने पहुंचे पति भीवराम सरवरे ने बताया कि 7 जून को पत्नी श्रीमती मीराबाई सरवरे,  बेटी पूजा को घर का काम नहीं करने को लेकर डांट रही थी। इस दौरान ही पड़ोसी सुनिता जामरे, पति हेमराज जामरे, बेटी अंकिता जामरे, जेठानी शर्मिला और जेठानी की बेटी मनीषा ने मामले को स्वयं पर लेते हुए महिला मीराबाई से गाली-गलौज करने लगे और उसके बाद सभी ने मेरे घर में घुसकर मेरी पत्नी से लात, मुक्कों से मारपीट की। जिससे वह बेहोश हो गई। जिसकी जानकारी मिलने पर वह घर पहुंचा और बेहोश पत्नी को बेटी के साथ लेकर गांव के डॉक्टर के पास पहुंचा। जहां उपचार किये जाने पर कोई आराम नहीं मिलने से वह पत्नी को वाहन में लेकर हिर्री डॉ. दीपक पटले को दिखाया। जिन्होंने जांच उपरांत पत्नी को गोंदिया ले जाने की सलाह दी। 

जब वह पत्नी को लेकर गोंदिया अस्पताल पहुंचा तो पत्नी का डॉ. द्वारा ब्रेन का सीटी स्केन कराया गया और प्रतिदिन 7 हजार रूपये का एक सप्ताह तक इलाज की बात कही। चूंकि आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण वह पत्नी को वापस लाकर जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया। जहां भी इलाज नहीं होने पर चिकित्सकों ने उसे नागपुर या रायपुर ले जाने की सलाह देकर उसे डिस्चार्ज कर दिया। लेकिन पैसे के अभाव में वह पत्नी को लेकर बाहर नहीं जा सका। जिसके बाद घर में पत्नी की देखरेख करने के बाद उसकी हालत ज्यादा बिगड़ने पर उसे 12 जून को जिला चिकित्सालय लाकर भर्ती कराया था। जहां उसके एक बार फिर किये गये सीटी स्केन से पता चला कि उसके ब्रेन में मारपीट से खून जमा हो गया है और 14 जून को मेरी पत्नी की इलाज के दौरान जिला चिकित्सालय में मौत हो गई। 

इस बीच जब वह किरनापुर थाने मामले की रिपोर्ट करने पहुंचा तो पहले पुलिस थाने में रिपोर्ट लिखने से पुलिसकर्मी टालमटोल करते रहे और जब रिपोर्ट लिखकर मुझसे दस्तखत करा लिये गये। चूंकि अनपढ़ होने के कारण वह रिपोर्ट नहीं पढ़ सका। जब उसने थाने से मिली एफआईआर को बेटी से पढ़ाया तो पता चला कि किरनापुर पुलिस ने मेरे बताई गई रिपोर्ट के अनुसार रिपोर्ट में मारपीट करने वाले पड़ोसियों के पूरे नाम नहीं लिखे हैं। वहीं पुलिस अब हम पर दबाव बना रही है कि वह केवल दो ही लोगों के नाम बोल रहे है, उनका कहना है कि पांच लोगों के नाम मत लिखवाओ। जिसके लिए थाना प्रभारी मुझे और मेरी बेटी को मानसिक रूप से परेशान कर रहे हैं।

इस मामले में जिला आदिवासी गोवारी समाज जिलाध्यक्ष महेश सहारे ने समाज के परिवार के सदस्य की हुई हत्या में आरोपियों पर पुलिसिया कार्यवाही को लेकर असंतोष और नाराजगी जाहिर की है। श्री सहारे ने कहा कि घटना को एक सप्ताह से ज्यादा का समय बीत गया है, बावजूद इसके पुलिस मामले में आरोपियों पर कार्यवाही करना तो दूर उल्टा पीड़ित परिवार पर दबाव बनाने का काम कर रही है। जबकि पूरा मामला साफ है, परिवार के लोग साक्षी बेटी यह बता रही है कि पड़ोसी के पूरे परिवार ने मिलकर पीड़िता महिला के साथ मारपीट की, जिससे महिला की मौत हो गई। 

उन्होंने कहा कि इस मामले में जिन दो आरोपी को भी पुलिस द्वारा थाने लाये जाने की बात कही जा रही है, उनके खिलाफ भी कोई कार्यवाही की गई या नहीं? यह पता नहीं चल पा रहा है, जिससे लगता है कि किरनापुर पुलिस या तो आर्थिक दबाव या राजनैतिक दबाव में मामले को रफा-दफा करने का प्रयास कर रही है, जिसे आदिवासी गोवारी समाज द्वारा बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। 

इनका कहना है 
यदि जामड़ी निवासी महिला मीराबाई की मौत मामले में सभी आरोपियों पर हत्या का मामला दर्ज कर कार्यवाही नहीं की गई तो जिला आदिवासी गोवारी समाज, समाज के परिवार को न्याय दिलाने सड़क पर उतरकर आंदोलन के लिए बाध्य होगा। उन्होंने कहा कि इस मामले में न केवल हत्या बल्कि बलवा का मामला भी कायम होना चाहिये।
महेश सहारे, जिलाध्यक्ष, जिला आदिवासी गोवारी समाज

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