मण्डला : सर्पदंश से बचाव, इलाज एवं भ्रातियों के संबंध में एडवाईजरी



रिपोर्टर विजय पटेल
मण्डला/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। मुख्य चिकित्सा एवं स्वा. अधिकारी डॉ. श्रीनाथ सिंह ने एडवाइजरी जारी की है कि बरसात के दिनों में सांप काटने के केस अत्याधिक सामने आते हैं। सांप काटने में व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तथा सांप काटने को अनदेखा ना करें, किसी नजदीकि अस्पताल तुरन्त लेकर जायें, झाड़-फूंक में ना रहें, सांप के दांत के नीचे विष की थैली होती है, काटने पर विष की थैली सीधे शरीर में खून के माध्यम से जहर फैल जाता है। सामान्यतः जहरीले सांपों के काटने पर दांतों के दो निशान अलग ही दिखाई देते हैं। गैर विषैले सांप के काटने पर दो से ज्यादा निशान हो सकते हैं, परन्तु ये निशान नहीं दिखता है, ये सोचना गलत होगा कि सांप ने नही काटा है, ज्यादातर सांप गैर विषैले भी होते हैं। सांप के काटने पर करीब-करीब 95 प्रतिशत मामलों में पहला लक्षण नींद का आना है, इसके साथ ही निगलने या सांस लेने में तकलीफ होती है, आमतौर पर सांप काटने पर आधे घंटे बाद लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

सांप के काटने पर यह ना करें 
रस्सी से ना बांधें, ब्लेड से ना काटें, पारम्परिक तारीकों का इस्तेमाल ना करें, मुंह से खून ना चूसें। ओझा, गुनिया के पास ना जायें। अन्धविश्वास में ना पड़े। 

यथा संभव निम्नानुसार कार्य करें -
सांप काटे व्यक्ति को दिलासा दिलायें। घटना के तथ्यों का पता लगायें। गीले कपड़े से डंक की जगह की चमड़ी को साफ करें, जिससे वहां पर लगा विष निकल जाये। सांप काटे व्यक्ति को करवट सुलायें, क्योंकि कई बार उल्टी भी होने लगती है, इसलिये करवट सुलाने से उल्टी श्वसन तंत्र में ना जाये। जहां पर सांप ने काटा है, उस स्थान पर हल्के कपड़े से बांध देवें, ताकि हिलना डुलना बंद हो जाये। 

उपचार 
सांप काटे व्यक्ति को तत्काल नजदीकि अस्पताल ले जाने की व्यवस्था बनायें। सांप के काटने के जहर को मारने के लिये अस्पताल में निःशुल्क एंटी स्नेक इंजेक्शन लगाया जाता है, अस्पताल में उपलब्ध है एवं डॉक्टर द्वारा दी गई सलाह के अनुसार उचित उपचार करायें।

बचाव
अंधेरे में ना जायें। बिलों में हाथ ना डालें। झाड़ियों में ना जायें। पानी भरे गड्ढे में ना जायें। पैरों में चप्पल और जूते पहनकर चलें।

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