बिलासपुर/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले में स्थित अचानकमार टाइगर रिजर्व क्षेत्र में वन विभाग के दल ने एक घायल बाघिन की जान बचाई है। बाघिन का इलाज किया जा रहा है।
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बाघिन की पीठ पर घाव का निशान है। बिलासपुर के करीब कानन पेंडारी चिड़ियाघर में उसका इलाज किया जा रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि अभी तक ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली जिससे इस बात की पुष्टि होती हो कि बाघिन को चोट शिकारियों ने पहुंचाई है।
टाइगर रिजर्व के उप निदेशक सत्यदेव शर्मा ने बताया कि वन विभाग ने रिजर्व के छपरवा रेंज के सांभरधसान सर्किल में पिछले कुछ दिनों से एक बाघिन की गतिविधियों की जानकारी दी थी। सोमवार को वन कर्मियों ने बताया कि संभवतः बाघिन जख्मी है क्योंकि वह एक ही स्थान पर बैठी हुई है। बाघिन के घायल होने की सूचना मिलते ही अचानकमार टाइगर रिजर्व और राजधानी रायपुर के वन विभाग के अधिकारियों ने बाघिन को बचाने की कार्रवाई शुरू की।
शर्मा ने बताया कि सूचना मिलने के बाद रायपुर से प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी, पी वी नरसिम्हा राव बचाव दल के साथ मौके पर पहुंचे। उनके साथ मध्य प्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व से डॉ. संदीप अग्रवाल और वन विभाग के अन्य अधिकारी मौजूद थे। मंगलवार की सुबह बाघिन को बेहोश कर पकड़ लिया गया। अधिकारी ने बताया कि बाघिन की उम्र लगभग 12 वर्ष है। उसका इलाज बिलासपुर के कानन पेंडारी चिड़ियाघर में किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बाघिन की पीठ पर पुराना घाव है। आशंका है कि अन्य जानवर से लड़ाई के दौरान उसे यह चोट लगी है। इस संबंध में अधिक जानकारी जुटाई जा रही है।
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