बिहार : निजी अस्पतालों का डाटा न मिलने से बढ़ सकती है कोरोना से हुई मौतों की संख्या



पटना/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। बिहार में कोरोना से हुई मौत के आंकड़ों में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद नीतीश सरकार की फजीहत हो रही है। हालांकि इस फजीहत से निकलने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से कई तरह की सफाई दी जा रही है, लेकिन आंकड़ों के फर्जीवाडे़ का मामला लगातार सामने आ रहा है। अभी तक निजी अस्पतालों में हुई मौतों का आंकड़ा सरकार ने बताया ही नही है। अगर यह भी सामने आ जाये तो सरकार की और फजीहत होनी तय मानी जा रही है।

निजी अस्पतालों में भी कई ऐसे अस्पताल रहे हैं, जिन्हें कोविड के रोगियों का इलाज करने की अनुमति नहीं थी, बावजूद इनके द्वारा चोरी-छुपे कोविड रोगियों का इलाज किया जाता रहा और वहां मौतें भी हुई हैं। अगर ऐसे सभी मामले सामने आ जाते हैं तो बिहार में कोरोना से मरने वालों के आंकड़ों में अप्रत्याशित वृद्धि हो सकती है।

उल्लेखनीय है कि सरकार के पास मौजूदा वक्त में कोरोना से मौतों के जो आंकड़े उपलब्ध हैं, उनमें ज्यादातर सरकारी अस्पतालों से जुडे़ हुए हैं। इसके अलावा कुछ ऐसे निजी अस्पतालों का भी आंकड़ा हो सकता है, जिन्हें सरकार से कोविड के इलाज की अनुमति मिली हुई थी। लेकिन कोरोना की दूसरी की लहर के दौरान जिन-जिन निजी अस्पतालों में मरीजों का इलाज किया गया। उसमें से कई सरकार से निबंधित नही थे। ऐसे में वहां हुई मौतों की सही जानकारी अब तक सरकार के पास नहीं पहुंच पाई है। इस तरह से आशंका यह है कि निजी अस्पतालों ने कोरोना से मरने वालों के आंकडे़ छुपाए हुए हैं। जिसके चलते खुद स्वास्थ्य विभाग चिंतित है।

स्वास्थ्य विभाग की तरफ से सभी सिविल सर्जन को यह निर्देश दिया गया है कि उनके जिलों में निजी अस्पतालों में कोरोना से हुई मौतों का आंकड़ा जल्द भेजें। बावजूद इसके निजी अस्पतालों ने कोरोना संक्रमितों की मौत के आंकड़ों की जानकारी स्थानीय प्रशासन को नहीं दी है।

तीन दिन में मौत का आंकड़ा बताने के आदेश
बताया जाता है कि पटना के सिविल सर्जन ने राजधानी पटना के 28 निबंधित निजी अस्पतालों को 3 दिन के अंदर मौत के आंकडे़ को बताने को कहा है। सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि सिविल सर्जन की तरफ से दी गई, समय सीमा समाप्ति के बावजूद निजी अस्पतालों ने अभी तक अपनी तरफ से कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई है। इसके अलावा पटना में कई गैर निबंधित अस्पतालों में भी कोरोना का इलाज किये जाने की बात कही जा रही है। ऐसे में वह सरकार को आंकड़ा देंगे भी तो कैसे यह एक गंभीर सवाल उठ खडा हुआ है।

सूत्रों की मानें तो सरकार की ओर से कोरोना से हुई मौतों का जो आंकड़ा पेश किया गया है, उनमें निजी अस्पतालों के अंदर हुई मौतों की संख्या शामिल नहीं है। ऐसे में अगर इन अस्पतालों की तरफ से भी जानकारी मुहैया कराई जाती है तो एक बार फिर कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा सरकार की फजीहत कराने के लिए काफी हो सकता है।

पटना हाईकोर्ट भी मौत के आंकड़ों पर सख्त
इस बीच कोरोना से हुई मौत के मामलों को लेकर अब सरकार की फजीहत पटना हाईकोर्ट में भी हुई है। पटना हाईकोर्ट में कोरोना संक्रमण के मामले पर सुनवाई करते हुए बिहार सरकार को चेतावनी दे डाली है। राज्य में कोरोना संक्रमण से हुई मौत के आंकडे़ पर नाराजगी जताते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि कोर्ट इस बारे में सरकार से जानकारी नहीं मांगता तो लोगों की मौत का सही आंकड़ा सामने नहीं आ पाता. हाईकोर्ट ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि ऐसी गलती भविष्य में ना हो। यहां बता दें कि पटना हाईकोर्ट में राज्य के मुख्य सचिव की तरफ से दायर हलफनामे में सूबे में मौत का आंकड़ा 9,375 बताया गया है। कोर्ट को बताया गया कि मरने वालों की संख्या में गड़बड़ी होने के मामले में प्रदेश के सभी सिविल सर्जन को नोटिस जारी किया गया है। सरकार ने अपने हलफनामे में यह भी कहा कि राज्य में संक्रमण से मरने वालों की संख्या 9,375 है, जबकि पटना में सबसे ज्यादा 2,293 लोग कोरोना की वजह से मरे हैं। शिवहर जिले में मौत का आंकड़ा सबसे कम है। शिवहर में कोरोना संक्रमण से कुल 35 लोगों की जान गई है। वहीं, 7 जून को मरने वाले लोगों की संख्या 5,424 बताई गई थी। कोर्ट में यह बात सामने आई है कि 8 जून को बक्सर जिले में मरने वाले कोरोना संक्रमितों की संख्या 180 थी, जबकि 7 जून को यह आंकडा 83 ही बताया गया था। सरकार ने कहा है कि इस मामले में सिविल सर्जन को नोटिस दिया जाएगा और जो भी दोषी होंगे उन पर कार्रवाई की जाएगी।

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