बालाघाट : कोई काम का नहीं रहा करोड़ों का पुल, फिर बह गई सर्रा के पुल को जोड़ने वाली कच्ची सड़क



आवागमन बाधित, कलेक्टर के आदेश के बावजूद नहीं बनी एप्रोच रोड 
लांजी/बालाघाट/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। वनांचल क्षेत्र अंतर्गत ग्राम सर्रा जो की नक्सल प्रभावित क्षेत्र माना जाता है 13 ग्राम से सोन नदी बहती है। नदी के उस पार दर्जन बड़े ग्राम है जिन्हें हर छोटे-छोटे कामों के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हर काम के करने के लिए उन्हें लांजी मुख्यालय का रुख करना पड़ता है रिसानी को देखते हुए सर्रा कि सोन नदी को लगभग 8 करोड़ रुपए की लागत से वर्ष 2013 में निर्माण कार्य किया गया। 

जिसमें काम चलाने के लिए भी कच्ची सड़क पर मिट्टी डाली डाली गई थी। मिट्टी डालने के पश्चात फिर से प्रारंभ कर दिया गया था लेकिन बावजूद इसके द्वारा बताया जा रहा था कि बारिश आते ही मिट्टी बह गई। पहली बारिश के चलते एप्रोच मार्ग बह गया, मार्ग में बीच में थोड़ी जगह बाकी है। जिससे दोपहिया वाहनों पैदल चलने वाले निकल पा रहे हैं। चार पहिया वाहनों का आवागमन बंद हो गया है। इस मार्ग के कटने के कारण क्षेत्र के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

दर्जनों गांवों को जोड़ता है सर्रा पुल
बरसात के मौसम में पुल से जुड़े एप्रोच मार्ग के बह जाने के  कारण ग्रामीणों का आना-जाना बंद हो जाता है निश्चित ही दर्जन ग्रामों को लांच मुख्यालय आए बिना उनका काम नहीं होता है, लोग अपने कार्य के लिए बीज 22 किलोमीटर दूर से घूम कर उनको लांजी मुख्यालय का रुख करना पड़ता है।

पुल की गुणवत्ता की हो जांच
पिछले वर्ष 28 अगस्त 2020 की रात में पानी के तेज बहाव से सोन नदी पर बने पुल का एप्रोच मार्ग बहने के उपरांत 9 सितंबर 2020 को जिला कलेक्टर दीपक आर्य ने ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग के कार्यपालन यंत्री एलएस इनवाती उपयंत्री पांडे को भविष्य की दृष्टि से पक्का स्ट्रक्चर बनाकर सुचारू व्यवस्था के निर्देश दिए थे परंतु कलेक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का 11 माह बाद भी पालन नहीं हो पाया निश्चित तौर पर पुल के निर्माण कार्य की गुणवत्ता की जांच होनी चाहिए ताकि आने वाले समय में किसी प्रकार की कोई घटना ना घटे।

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