लोगों को ठगने वाले अपराधियों का पता लगाए पुलिस - इलाहाबाद उच्च न्यायालय


प्रयागराज/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को ऐसे अपराधियों का पता लगाने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया है जो लुभावने ऑफर देकर भोली भाली जनता की मेहनत की गाढ़ी कमाई पर हाथ साफ कर रहे हैं।

अदालत ने पुलिस महानिदेशक को जिला पुलिस प्रमुखों को सर्कुलर जारी कर ऐसी ठगी और धोखाधड़ी से कड़ाई से निपटने का निर्देश देने को कहा।

न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने कुलदीप नाम के एक व्यक्ति की जमानत अर्जी खारिज करते हुए यह आदेश पारित किया। कुलदीप के खिलाफ सहारनपुर के कुतुबशेर पुलिस थाने में मामला दर्ज है और उस पर धोखाधड़ी करने और आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप है।

सहारनपुर के इस मामले में एक अन्य आरोपी सुनील कुमार ने शिकायतकर्ता के बेटे शुभम कुमार के समक्ष खुद को एक प्राइवेट फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी के तौर पर पेश किया और शुभम को कारोबार शुरू करने के लिए 10 लाख रुपये ऋण की पेशकश की और ऋण प्रस्ताव मंजूर कराने के लिए शुभम के साथ एक लाख रुपये की ठगी की।

ठगी का शिकार होने के बाद शुभम अवसादग्रस्त हो गया और बाद में उसने आत्महत्या कर ली।

याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि उसने मृतक के साथ धोखाधड़ी नहीं की और जब वह मुख्य आरोपी के साथ एक एसयूवी में यात्रा कर रहा था, तो उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया। इन आरोपियों के पास से कुछ मोबाइल फोन भी बरामद किए गए।

सरकारी वकील ने जमानत अर्जी का यह कहते हुए विरोध किया कि इस तरह के अपराध संगठित तरीके से किए जाते हैं जहां ऋण मंजूर कराने या किसी स्कीम के तहत रिवार्ड देने के बहाने भोली भाली जनता के साथ धोखाधड़ी की जाती है।

संबद्ध पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने कहा, “वास्तव में एक व्यक्ति के साथ धोखाधड़ी का कृत्य सुसंगठित गिरोह द्वारा किया जाता है और ऐसे समय में जब कोरोना की वजह से कई लोगों की नौकरी चली गई है, यह एक बहुत बड़ा अपराध है।”

अदालत ने 30 जून को याचिकाकर्ता की जमानत की अर्जी खारिज करते हुए कहा, “इससे बहुत सख्ती से निपटने की जरूरत है। जहां तक इस याचिकाकर्ता का संबंध है, इसे धोखाधड़ी में लगे लोगों के साथ रंगे हाथों पकड़ा गया है और उनके पास से मोबाइल फोन आदि भी बरामद हुए हैं।

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