गीत - मेघा, अब तो बरसो रे!










गीत
मेघा, अब तो बरसो रे!

बरसो रे!

बरसो रे!

मेघा, अब तो बरसो रे!

प्यासी नदिया, ताल-तलैया

प्यासे पर्वत-घाटी,

देख-देखकर प्यास धरा की

लाज न तुमको आती?

बरसो रे!

मेघा, अब तो बरसो रे!

सूरज शोले बरसाता है

तन-मन को झुलसाए,

बिन पानी के सब कुछ सूना

रह-रह याद दिलाए,

बरसो रे!

मेघा, अब तो बरसो रे!

पल-पल सपने टूट रहे हैं

घायल हैं आशाएं,

बादल तो घिर-घिर आते हैं

खेलें खेल हवाएं,

बरसो रे!

मेघा, अब तो बरसो रे!

दुखिया की फसलें रोती हैं

रोता है घर-आंगन,

झूले रोएं, पनघट रोए

रोए सूना सावन,

बरसो रे!

मेघा, अब तो बरसो रे!

- अशोक अंजुम

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