मध्य प्रदेश: कुबेर का रिश्तेदार निकला पीडब्ल्यूडी का सहायक इंजीनियर, छापे में करोड़ों की संपत्ति का खुलासा


ग्वालियर/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। मध्य प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) ने शुक्रवार को प्रदेश के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के एक सहायक इंजीनियर के ग्वालियर स्थित परिसरों पर छापा मारकर 3.5 लाख रुपये नकद, सोने-चांदी के जेवर एवं करोड़ों रुपये की आय से अधिक संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज बरामद किए।

ईओडब्ल्यू के पुलिस उपाधीक्षक सतीश चतुर्वेदी ने बताया कि पीडब्ल्यूडी के ग्वालियर में पदस्थ सहायक यंत्री रविन्द्र सिंह कुशवाह (56) के खिलाफ कई शिकायतें मिली थीं। उन्होंने कहा कि विभाग ने शिकायतों की जांच की और तथ्यों को सही पाने के बाद अदालत से तलाशी वारंट जारी कराया तथा सुबह उसके डीबी सिटी एवं नाका चंद्रवदनी स्थित मकानों पर एक साथ छापेमारी की।

 3.5 लाख रुपये नकद और सोने-चांदी के जेवर मिले
चतुर्वेदी ने बताया कि शुरुआती तलाशी में कुशवाह के डीबी सिटी एवं नाका चंद्रवदनी स्थित मकानों के अलावा ग्वालियर एवं भोपाल शहरों के साथ डबरा में आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक कई संपत्तियां होने के दस्तावेज मिले हैं। इसके अलावा उसके घर से 3.5 लाख रुपये नकद और सोने-चांदी के जेवर मिले हैं।

उन्होंने कहा कि उसके घर से बैंक एकाउंट संबंधी व अन्य दस्तावेज भी मिले हैं और तलाशी व जांच का काम अभी भी जारी है। चतुर्वेदी ने बताया कि डीबी सिटी के जिस मकान में कुशवाह रहता है, उसकी कीमत करीब दो करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि जब कुशवाह 1992 में पीडब्ल्यूडी से जुड़ा, तब से उसे करीब 90 लाख रुपये कुल वेतन मिला होगा।

बिना हिसाब की 300 करोड़ रुपये की आय
आयकर विभाग ने हैदराबाद की कंपनी पर छापेमारी में 300 करोड़ रुपये के काला धन का पता लगाया रियल एस्टेट और अपशिष्ट प्रबंधन में लगी हैदराबाद की एक कंपनी के परिसरों पर छापा मारने के बाद आयकर विभाग ने 300 करोड़ रुपये की बिना हिसाब की आय का पता लगाया। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। यह तलाशी छह जुलाई को ली गयी।

सीबीडीटी ने एक बयान में बताया, ‘‘तलाशी एवं जब्ती अभियान और विभिन्न दस्तावेजों की प्राप्ति के आधार पर समूह की कंपनियों और संबद्ध कंपनियों ने 300 करोड़ रुपये की बिना हिसाब की आय होने की बात स्वीकार की है। इसके अलावा समूह बकाया करों का भुगतान करने के लिए भी सहमत हुआ है।’’

सीबीडीटी, कर विभाग के लिए नीति तैयार करता है। बोर्ड ने समूह की पहचान उजागर नहीं की, लेकिन कहा कि यह रियल एस्टेट, निर्माण, अपशिष्ट प्रबंधन और बुनियादी ढांचे के कार्यों में लगा हुआ है। सीबीडीटी ने कहा कि समूह के अपशिष्ट प्रबंधन का कारोबार पूरे भारत में फैला हुआ है, जबकि रियल एस्टेट की गतिविधियां मुख्य रूप से हैदराबाद में केंद्रित हैं।

समूह द्वारा कथित तौर पर कर छिपाने के मामले पर सीबीडीटी ने कहा, ‘‘यह पाया गया कि समूह ने वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान अपनी अधिकतम हिस्सेदारी, समूह की सिंगापुर स्थित एक नॉन रेजिडेंट इकाई को बेच दी थी और बड़ी मात्रा में कैपिटन गेन का फायदा उठाया था।’’

बयान के मुताबिक, ‘‘समूह ने बाद में संबंधित पक्षों के साथ शेयर खरीद, बिक्री, ‘नॉन आर्म लेंथ वैल्यूड सब्सक्रिप्शन’ और बाद में बोनस जारी करने जैसी आकर्षक योजनाओं के जरिए उस लाभ को हस्तांतरित कर दिया। उसने ऐसा कैपिटल गेन के जरिए अर्जित कमाई को नुकसान के रूप में दिखाने के लिए किया।’’

सीबीडीटी ने कहा, ‘‘जो आपत्तिजनक साक्ष्य, दस्तावेज बरामद किए गए हैं, वह साबित करते हैं कि संबंधित कैपिटल गेन को समायोजित करने के लिए कृत्रिम नुकसान दिखाया गया। तलाशी अभियान में लगभग 1200 करोड़ रुपये का कृत्रिम नुकसान का पता चला है, जिस पर कर की देनदारी बनती है।’’ बयान में कहा गया, ‘‘तलाशी की कार्रवाई में समूह से जुड़ी कंपनियों के साथ बेहिसाब नकद लेनदेन का भी पता चला है और इसकी मात्रा और तौर-तरीकों की जांच की जा रही है।’’

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