फाइल फोटो |
दरअसल पाकिस्तानी आतंकी लंबू भाई सुरक्षाबलों के लिए चुनौती बना हुआ था। आईईडी बनाने में विशेषज्ञ माने जाने वाले आतंकी लंबू भाई को पुलिस कई सालों से ढूंढ रही थी। लंबू को सुरक्षबलों ने गत वर्ष नवंबर में भी घेरा था परंतु रात के अंधेरे का फायदा उठाकर वह मुठभेड़ स्थल से फरार हो गया था। पुलवामा हमले के बाद से ही जैश-ए-मोहम्मद के आईईडी विशेष माने जाने वाले 3 आतंकी सुरक्षाबलों के निशाने पर थे। दो आईईडी विशेष डॉ. सैफुल्ला, वाहिद भाई को सुरक्षाबलों ने गत वर्ष जुलाई और नवंबर में मुठभेड़ के दौरान मार गिराया था परंतु लंबू भाई मुठभेड़ से बच निकलने के बाद अंडरग्राउंड हो गया था। पुलिस इतना जानती थी कि वह पुलवामा में ही कहीं छिपा हुआ है।
लंबू मसूद अजहर के परिवार से था। वह लेथपोरा पुलवामा हमले की साजिश और योजना में शामिल था। फिदायीन हमले के दिन तक वह आदिल डार के साथ रहा, आदिल डार के वायरल वीडियो में उसकी भी आवाज थी। दूसरे आतंकी की पहचान की जा रही है। आईजीपी ने सुरक्षाबलों की संयुक्त टीम को बधाई दी है।
खुफिया एजेंसियों को इनपुट मिला था कि पुलवामा के त्राल के नागबेरान तारसर के जंगल में आतंकी छिपे हैं। इस पर सुरक्षाबलों ने इलाके को घेर लिया। सुरक्षाबलों ने आतंकियों को आत्मसमर्पण के लिए कहा, लेकिन आतंकियों ने आत्मसमर्पण नहीं किया। आतंकियों ने खुद को घिरा देख सुरक्षाबलों पर फायरिंग शुरू कर दी। सुरक्षाबलों ने भी मुंहतोड़ जवाब देते हुए दो आतंकियों को मार गिराया है। फिलहाल सुरक्षाबलों ने इलाके में तलाशी अभियान चला रखा है।
यह आप्रेशन 24 जुलाई को तड़के उस समय शुरू हुआ जब पुलिस को जिले के सुमलर इलाके के शोकबाबा जंगल क्षेत्र में आतंकियों के एक बड़े दल की मूवमेंट का इनपुट मिला। इस मुठभेड़ में शुरू में दो आतंकियों को, जबकि रविवार की सुबह एक और आतंकी को मार गिराया गया।
सूत्रों के अनुसार यह 5 आतंकियों का एक ग्रुप था, जिसमें बताया जा रहा है कि एक स्थानीय और बाकी के 4 पाकिस्तानी आतंकी थे। मारे गए आतंकियों में से एक आतंकी की शिनाख्त शाकिर अल्ताफ बाबा के तौर पर हुई, जो वर्ष 2018 में अटारी-वाघा बार्डर से पाकिस्तान गया था और हाल ही में एलओसी से घुसपैठ कर कश्मीर में दाखिल हुआ था।
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