नई दिल्ली/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। दिल्ली पुलिस ने यहां की एक अदालत से कहा है कि यह पुष्टि करने के लिए अब तक कोई सबूत एकत्र नहीं किया जा सका है कि इस महीने की शुरुआत में दक्षिण-पश्चिम दिल्ली स्थित दिल्ली छावनी के पास कथित तौर पर हत्या किये जाने से पहले 9 वर्षीय बच्ची के साथ बलात्कार किया गया था या नहीं। मामले के जांच अधिकारी (आईओ) ने अदालत को बताया कि चारों आरोपियों के बयानों से पता चला है कि उनमें से दो - श्मशान घाट के 55 वर्षीय पुजारी राधेश्याम और उसके कर्मचारी कुलदीप सिंह - ने पीड़ित लड़की के साथ दुष्कर्म करके उसकी हत्या कर दी थी।
जांच अधिकारी ने अदालत को बताया कि अन्य आरोपियों - सलीम अहमद और लक्ष्मी नारायण (दोनों श्मशान में कर्मचारी) ने मृतक बच्ची का अंतिम संस्कार करने में उनकी मदद की थी। अदालत ने पारित आदेश में कहा, ‘‘जांच अधिकारी ने स्वीकार किया है कि न तो किसी चश्मदीद गवाह का कोई बयान और न ही कोई अन्य सबूत, जिसमें चिकित्सा या वैज्ञानिक शामिल हैं, यह पुष्टि करने के लिए एकत्र किया जा सका है कि पीड़ित बच्ची के साथ बलात्कार किया गया था या नहीं। उन्होंने कहा है कि इस स्तर पर, वह निर्णायक रूप से यह नहीं कह सकता कि पीड़ित बच्ची के साथ बलात्कार हुआ था या नहीं।'' पुलिस के समक्ष आरोपी व्यक्तियों के खुलासे वाले बयान, जब तक कि अन्य सबूतों द्वारा समर्थित न हों, कानून के तहत स्वीकार्य नहीं होते।
इस बीच, विशेष न्यायाधीश आशुतोष कुमार ने बच्ची की मां को 2.5 लाख रुपये उसकी बच्ची की मृत्यु के लिए ‘‘अंतरिम राहत'' के रूप में प्रदान किये। अदालत ने हालांकि पीड़िता के कथित बलात्कार के अतिरिक्त आधार पर ‘‘इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए और अंतरिम राहत नहीं दी कि जांच एजेंसी खुद इसको लेकर आश्वस्त नहीं है कि पीड़िता के साथ बलात्कार हुआ था या नहीं। इस बीच, अदालत ने चारों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। ये सभी बच्ची की मां से परिचित थे।
दिल्ली पुलिस ने बच्ची की मां के बयान के आधार पर चारों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है जिन्होंने आरोप लगाया था कि 1 अगस्त को उनकी बेटी के साथ बलात्कार किया गया, उसकी हत्या की गई और परिवार की सहमति के बिना उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
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