जातीय जनगणना मामले में नीतीश और तेजस्वी की जुगलबंदी !


नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव। (फाइल फोटो)

केंद्र नहीं माना तो बिहार सरकार खुद कराएगी जातीय जनगणना

पटना/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। बिहार में जातीय आधार पर जनगणना के मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए समय मांगा है। हालांकि चर्चा है कि केंद्र सरकार अगर जातीय आधार पर जनगणना कराने को तैयार हो जाती है तो ठीक है, वरना नीतीश बिहार में राज्य सरकार के खर्च पर जातीय जनगणना कराएंगे। नीतीश कुमार ने गुरुवार को ही कह दिया था कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जातीय जनगणना के मसले पर अपनी बात रख दी है।

इस बीच, जदयू सांसद सुनील कुमार सिंह पिंटू ने कहा है कि यदि केंद्र सरकार जातीय आधार पर जनगणना नहीं करवाती है तो सूबे की सरकार राज्य में खुद ये काम करवाएगी। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात का वक्त मिलने के बाद ही आगे बात बढेगी। उन्होंने कहा कि जदयू के अंदर नीतीश कुमार का स्टैंड बिल्कुल साफ है। नीतीश कुमार अपनी पार्टी के नेताओं को कह चुके हैं कि अगर केंद्र सरकार जातीय जनगणना के लिए तैयार नहीं होती है तब भी राज्य सरकार इसे कराएगी। 

सुनील कुमार पिंटू ने कहा कि नीतीश कुमार पार्टी के नेताओं को स्पष्ट तौर पर कह चुके हैं कि हम केंद्र सरकार से जातीय जनगणना कराए जाने की मांग रखेंगे। अगर केंद्र सरकार मान जाती है या कोई संशोधन लाकर राज्य सरकारों को जातीय जनगणना कराने का अधिकार दे देती है तो इसका स्वागत होगा, लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तब भी राज्य सरकार अपने खर्च पर जातीय जनगणना कराएगी। जदयू सांसद ने कहा कि यह फैसला बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेना है कि राज्य में जातीय जनगणना कब और कैसे होगी? उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दोनों नेता जल्द ही एक दूसरे से मिलने वाले हैं, जिसके बाद बिहार को लेकर एक बड़ा फैसला किया जाएगा।

जदयू सांसद ने कहा कि तेजस्वी यादव और सीएम नीतीश कुमार सहित बिहार के तमाम विपक्षी पार्टियों के नेता एक साथ नजर आएंगे। जातिगत जनगणना को लेकर बिहार का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर सकता है. इस प्रतिनिधिमंडल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित तेजस्वी यादव, बिहार भाजपा के नेता और तमाम विपक्ष पार्टियां जैसे माले, कांग्रेस के भी लोग मौजूद होंगे। 

यहां बता दें कि जातीगत जनगणना कराने को लेकर विपक्ष ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर यह मांग रखी थी कि बिहार के सभी दलों का प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री से मिलकर अपनी बात रखे। इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व मुख्यमंत्री स्वयं करें। 30 जुलाई को विपक्षी सदस्यों ने सीएम को ज्ञापन सौंपा था। उसी दौरान मुख्यमंत्री ने कहा था कि वे पीएम को पत्र लिखकर समय मांगेंगे। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी अगर नीतीश कुमार को मुलाकात के लिए समय देते हैं या बात करते हैं तो जातीय जनगणना पर फंसा पेंच सुलझ सकता है। अगर केंद्र सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई तब भी नीतीश ने फैसला तो कर ही रखा है। 

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