नई दिल्ली/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। शोधकर्ताओं की एक टीम ने दावा किया है आयुर्वेदिक पॉली-हर्बल फॉर्मूले नीरी-केएफटी दवा में न केवल दीर्घकालिक गुर्दा रोग की प्रगति को धीमा करने बल्कि इस महत्वपूर्ण अंग के कार्यात्मक मापदंडों में सामान्य स्थिति बहाल करने की भी क्षमता है।
'सऊदी जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेज' के नवीनतम संस्करण में प्रकाशित एक समीक्षा में उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि 'नीरी-केएफटी के फाइटो फार्माकोलॉजिकल मूल्यांकन से पता चलता है कि यह एंटीऑक्सिडेंट, नेफ्रोप्रोटेक्टिव और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभावों को बढ़ाकर गुर्दे की शिथिलता या दीर्घकालिक गुर्दा रोग (सीकेडी) रोगी में ऑक्सीडेटिव और तनाव से उत्पन्न होने वाले एपोप्टोसिस के खिलाफ पर्याप्त क्षमता प्रदर्शित करता है।'
नीरी-केएफटी, औषधीय पौधों से निकाली गयी एक हर्बल दवा है, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम करने के लिए जाने जाने वाले ऑक्सीडेटिव के साथ-साथ सूजन के कारण होने वाले खिंचाव को ठीक करने का काम करती है। शोध लेखकों ने 2000 और 2020 के बीच प्रकाशित साइंस डायरेक्ट, गूगल स्कॉलर, एल्सेवियर, पबमेड, स्प्रिंगर, एसीएस प्रकाशन जैसे पांच से अधिक इलेक्ट्रॉनिक डेटाबेस में से किडनी की बीमारियों के लिए फॉर्मूलेशन से डेटा लेने के बाद यह बात कही है।
एमिल फार्मा के प्रबंध निदेशक केके शर्मा ने इसके लिए 'हरिद्रा, वरुण, शिरीष, गोखरू, पुनर्नवा और अनंतमूल जैसी 20 से अधिक विभिन्न शक्तिशाली जड़ी-बूटियों को श्रेय दिया जो अपने नेफ्रोकरेक्टिव, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सिडेंट गुण और गुर्दे की कोशिकाओं के पुनर्योजी पुनर्जनन के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने कहा कि कड़े परीक्षणों के बाद किडनी के रोगियों को राहत देने के लिए इस फॉर्मूलेशन को विकसित किया गया है।
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