चेन्नई/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। तमिलनाडु विधानसभा में शनिवार को मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया गया , जिससे विधानसभा ने पारित कर दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाजपा सरकार ने कृषि सुधार का हवाला देते हुए तीन नए कृषि काननू पेश किए थे , जिसका किसानों ने पुरजोर विरोध किया था।
विधानसभा में बोलते हुए, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले एक साल के दौरान केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाले किसानों के खिलाफ दर्ज सभी मामले वापस ले लिए जाएंगे।
सीएम स्टालिन ने इस मुद्दे पर केंद्र को जमकर खरी-खोटी सुनाई और कहा कि तीनों कृषि कानून किसानों के खिलाफ हैं और ये उन्हें बर्बाद कर करने वाला कानून है। उन्होंने कहा कि कृषि कानून किसानों के लिए किसी काम के नहीं हैं और संघवाद के सिद्धांत और राज्यों की शक्तियों को छीनने के भी खिलाफ हैं। सीएम ने पूर्ववर्ती सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि अन्नाद्रमुक सरकार ऐसा कोई प्रस्ताव लेकर नहीं आई थी।
बीजेपी, अन्नाद्रमुक विधानसभा से किया वाकआउट
भाजपा विधायकों ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव का विरोध करते हुए तमिलनाडु विधानसभा से वाकआउट कर लिया । इसी तरह, अन्नाद्रमुक के विधायकों ने भी विधानसभा से वाकआउट किया और कहा कि तीन किसान-संबंधित कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव जल्दबाजी में पेश किया गया है और राज्य सरकार को एक सर्वदलीय बैठक बुलाकर किसानों की राय लेनी चाहिए ।
आपको बताते दें कि यह तीन कृषि कानून हैं - 1. किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2. किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम और 3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम।
इन तीनों कृषि कानूनों के विरोध में पिछले साल 26 नवंबर से ही किसान दिल्ली के बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन सरकार ने कानून वापस लेने की बात से इनकार कर दिया है। वहीं किसान इस मांग को लेकर बैठे हैं कि तीनों कृषि काननू से किसानों का कोई हित नहीं होने वाला है इसलिए सरकार इसे वापस ले । इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक समिति भी बनाई थी लेकिन उसका भी कोई खास फायदा नहीं हुआ।
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