नई दिल्ली/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वकीलों को वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा देने के लिए कुछ हाईकोर्टों द्वारा एक नियम के रूप में ‘मनमाने एवं भेदभावपूर्ण' गोपनीय मतदान के इस्तेमाल से जुड़ी याचिकाओं को सूचीबद्ध करने पर वह विचार करेगा। न्यायालय ने कहा कि एक या दो हफ्ते में ‘कुछ बदलाव' हो सकता है।
चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अनिरूद्ध बोस की 3 सदस्यीय पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह की बात पर गौर किया। जयसिंह की जनहित याचिका पर ही शीर्ष अदालत ने 2017 में वकीलों को वरिष्ठ का दर्जा देने संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए थे। जयसिंह ने अपने नए आवेदन को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की और आरोप लगाया कि कुछ हाईकोर्ट वकीलों को वरिष्ठ का दर्जा देने के लिए गोपनीय मतदान प्रक्रिया को नियम के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं जो कि ‘‘मनमाना और पक्षपातपूर्ण'' है और इसे ऐसा घोषित भी किया जाना चाहिए।
चीफ जस्टिस ने कहा, ‘‘कई अदालतों में वरिष्ठ के दर्जे को लेकर कुछ समस्याएं हैं। सुप्रीमकोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने भी वरिष्ठ दर्जे का अनुरोध किया है। मैं इस पर विचार करना चाहता हूं। मैं इस पर विचार करूंगा। कृपया कुछ वक्त दें।''
याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा गोपनीय मतदान प्रक्रिया का इस्तेमाल करने का जिक्र किया गया और कहा कि इस उद्देश्य के लिए गठित समिति 2017 के फैसले के अनुसार वकीलों को अंक देती है। सुप्रीमकोर्ट ने 2017 ने स्वयं के लिए और 24 हाईकोर्टों के लिए वकीलों को वरिष्ठ का दर्जा देने से संबंधित दिशा-निर्देश जारी किए थे।
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