कोविड से निपटने में नाकाम मलेशिया सरकार गिरी, प्रधानमंत्री मुहिउद्दीन यासीन का इस्तीफा !

कुआलालंपुर/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। मलेशिया के प्रधानमंत्री मुहिउद्दीन यासीन ने सोमवार को देश के नरेश को अपना इस्तीफा सौंप दिया। वह देश की सत्ता में सबसे कम समय तक आसीन रहे नेता बन गए हैं। वह मार्च 2020 में प्रधानमंत्री बने थे। उन्होंने अपनी खामियों के लिए माफी मांगी तथा ‘‘सत्ता के भूखे लोगों'' को आड़े हाथों लिया। 

मलेशिया नरेश से मुलाकात के बाद टेलीविजन पर प्रसारित अपने संदेश में यासीन ने कहा, ‘‘मैंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है, पूरे मंत्रिमंडल का इस्तीफा हो गया है क्योंकि निचले सदन में मेरे पास बहुमत नहीं था।'' उन्होंने कहा, ‘‘बतौर प्रधानमंत्री मेरी जो भी गलतियां और कमजोरियां रहीं, मैं उनके लिए माफी मांगना चाहता हूं। संकट के इस समय... मैंने और मेरे मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने जिंदगियां बचाने के लिए अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास किए। हालांकि गलतियां इंसान से ही होती हैं इसलिए मैं माफी मांगता हूं।''

यासीन ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि जब तक कि देश का कोरोना वायरस रोधी टीकाकरण कार्यक्रम पूरा नहीं हो जाता, अर्थव्यवस्था में सुधार नहीं आ जाता तब तक वह सत्ता में रहेंगे लेकिन ‘‘सत्ता के भूखे'' लोगों ने ऐसा होने नहीं दिया। इससे पहले उन्होंने यह स्वीकार किया था कि शासन करने के लिए आवश्यक बहुमत का समर्थन उन्हें हासिल नहीं है।

राजमहल की ओर से कहा गया कि नरेश सुल्तान अब्दुल्ला सुल्तान अहमद खान ने यासीन का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और उन्हें कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। सुल्तान अब्दुल्ला ने कहा कि फिर से चुनाव करवाने का विकल्प नहीं है क्योंकि देश के कई हिस्से कोविड-19 से प्रभावित हैं और स्वास्थ्य सुविधाएं अपर्याप्त हैं। उन्होंने शांति बनाए रखने की अपील की और उम्मीद जताई कि राजनीतिक संकट जल्द दूर हो जाएगा।

यासीन ने ऐसे समय इस्तीफा दिया है जब महामारी से ठीक से नहीं निपट पाने को लेकर जनता में रोष बढ़ता जा रहा है। दुनिया में सबसे अधिक संक्रमण दर वाले देशों में से एक मलेशिया है जहां इस महीने संक्रमण के दैनिक नए मामले 20,000 के पार चले गए हैं। 

हालांकि देश में 7 महीने से आपात स्थिति चल रही है और संक्रमण से निपटने के लिए जून से यहां लॉकडाउन लगा हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं आसान रास्ता अपना सकता था, अपने सिद्धांतों को त्याग कर प्रधानमंत्री बने रह सकता था लेकिन मैंने यह नहीं चुना।''

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