30 साल पुराना फेक पुलिस एनकाउंटर : पंजाब पुलिस के रिटायर्ड सब-इंस्पेक्टर को 10 साल कैद


मामले में दो लोगों के खिलाफ दोष हुए तय, एक आरोपी की हो चुकी है मौत


मोहाली/पंजाब। मोहाली की विशेष सीबीआई अदालत ने करीब 30 साल पुराने एक फेक पुलिस एनकाउंटर मामले में पंजाब पुलिस के एक रिटायर्ड सब-इंस्पेक्टर अमरीक सिंह (उस समय के एएसआई) को धारा-364 में 10 साल की सजा सुनाई है। अदालत ने आरोपी को धारा 342 में एक साल की सजा व 20 हजार रुपए जुर्माना भी किया है। हालांकि अमरीक सिंह के खिलाफ बुधवार को ही आरोप तय हो गए थे लेकिन अदालत ने सजा के लिए बृहस्पतिवार का दिन निश्चित किया था। यहां बता दें कि इस मामले में मुख्य आरोपी बताए जाते रिटायर्ड इंस्पेक्टर वस्सन सिंह की मौत हो चुकी है। उस समय वह ब्यास थाने में बतौर एसएचओ तैनात था। बताया जा रहा है कि पुलिस ने एक नौजवान गुरबिंदर सिंह को घर से उठाकर बाद में पुलिस एनकाउंटर में मारा हुआ दिखाया था। 


यह था मामला


पीड़ित परिवार के वकील ने बताया कि वर्ष 1992 में पंजाब पुलिस ने ब्यास से चन्नण सिंह नाम के व्यक्ति को 21 जुलाई, 1992 की शाम को घर से उठाकर जालंधर के एक थाने की हवालात में रखा और उसे बुरी तरह टॉर्चर किया। 2 दिन बाद पुलिस ने चन्नण सिंह के बेटे गुरबिंदर सिंह को जालंधर रहते उसके भाई सवर्ण सिंह के घर से उठा लिया और गांव के गणमान्य व्यक्तियों की अपील पर चन्नण सिंह को तो छोड़ दिया गया पर 24 जुलाई को पुलिस ने गुरबिंदर सिंह को पुलिस एनकाउंटर में मारा हुआ बता कर उसके केस की फाइल बंद कर दी। तब से पीड़ित परिवार ने कत्ल के जिम्मेदार पुलिस अफसरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए सरकार व उच्च पुलिस अधिकारियों के आगे अपील की, पर कोई सुनवाई नहीं हुई। इस उपरांत जसवंत सिंह खालड़ा कमेटी ने केस आगे भेजा और पीड़ित परिवार ने इंसाफ के लिए उच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया। पांच साल बाद 1997 में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई सीबीआई ने प्राथमिक जांच उपरांत पंजाब पुलिस के इंस्पेक्टर अमरीक सिंह व सब वस्सन सिंह के खिलाफ केस दर्ज किया। जिसकी सुनवाई मोहाली की विशेष सीबीआई जज हरिंदर कौर सिद्धू की अदालत में चल रही थी। सीबीआई द्वारा 2002 मेंं आरोपी पुलिस अफसरों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई थी। बुधवार को खुली अदालत में केस की सुनवाई दौरान पूर्व इंस्पेक्टर अमरीक सिंह व पूर्व सब इंस्पेक्टर वस्सन सिंह को दोषी करार दिया था। बृहस्पतिवार को सुबह अमरीक सिंह को अदालत ने सीबीआई अदालत ने 10 साल की सजा सुना दी।


बेशक फैसला लेट आया पर अदालत के फैसले से खुश-पीड़ित परिवार


वहीं, आज अदालत पहुंचे मृतक के भाई परमिंदर सिंह ने कहा कि उन्हें 30 साल का लंबा संघर्ष करना पड़ा। बेशक फैसला लेट आया है पर वह अदालत के फैसले से खुश हैं। उन्होंने कहा कि दोषियों ने मेरे बेकसूर भाई को मारा था जिसके मुकाबले आरोपियों को कम सजा मिली है। ऐसे जुर्म करने वालों को बड़ी सजा मिलनी चाहिए ताकि आगे से लोगों को नसीहत मिल सके।

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