जातीय जनगणना पर घमासान, तेजस्वी यादव ने 33 नेताओं को लिखा पत्र



कई राजनीतिक दलों ने जाति आधारित जनगणना का समर्थन किया

पटना। बिहार में पिछले कुछ समय से जातीय जनगणना का मुद्दा छाया हुआ है।  केंद्र सरकार के द्वारा जातीय जनगणना कराने से इनकार किए जाने के बाद बिहार में सियासत तेज हो गई है। इस मुद्दे पर अब बिहार एनडीए में भी दरार पड़ती दिखाई देने लगी है।  वहीं, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव इस मुद्दे को देश के सभी राज्यों में ले जाने की कोशिश में जुट गये हैं। इस संबंध में उन्होंने देश के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रमुख को चिट्ठी लिखकर जातिगत जनगणना कराने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने की मांग की है। 

तेजस्वी ने इस मुद्दे पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी तीन दिन में अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। 
 उन्होंने देश के 33 नेताओं को पत्र लिखा है।  पत्र में उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार जातिगत जनगणना को लेकर उदासीन और नकारात्मक रवैया अपना रही है। उनका कहना है कि जाति आधारित जनगणना की मांग को राष्ट्र निर्माण में एक जरूरी कदम के तौर पर देखा जाना चाहिए। 

तेजस्वी ने कहा कि जातीय जनगणना ना कराने को लेकर भाजपा के पास एक भी तर्कसंगत कारण नहीं है। यहां बता दें कि पिछले तीन माह से जातिगत जनगणना के मुद्दे पर भाजपा को छोड़ तमाम सियासी पार्टियां केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन, जिस तरह से केंद्र ने साफ किया है कि जातिगत जनगणना संभव नहीं है, उससे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव सहित तमाम सियासी दलों को बड़ा झटका लगा है।  वहीं, तेजस्वी ने कहा कि केंद्र सरकार नहीं चाहती तो विधानसभा और विधान परिषद से कैसे पास हो गया प्रस्ताव?

बिहार भाजपा और केंद्र भाजपा अलग है क्या? मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बयान जाति जनगणना पर केन्द्र के हलफनामे पर आना चाहिए। एक बार मुख्यमंत्री जी बोले तो एक्शन प्लान हमारा क्या होगा, इसको आगे बढाएंगे। इस संबंध में तेजस्वी यादव ने भाजपा के नेताओं और ओवैसी को छोड़ सभी प्रमुख नेताओं के नाम चिट्ठी लिखी है। 

इस चिट्ठी में उन्होंने मांग की है कि जातिगत जनगणना को लेकर खुली बहस होनी चाहिए। तेजस्वी ने लिखा है कि पहले ही महामारी के कारण जनगणना में देरी हो चुकी है। ऐसे में अब जनगणना शुरू नहीं हुई है तो जनगणना में जातिगत को भी जोड़ा जाना चाहिए। 

तेजस्वी ने सोनिया गांधी, शरद पवार, अखिलेश यादव, मायावती, एमके स्टालिन, ममता बनर्जी, नवीन पटनायक, सीताराम येचुरी, डी. राजा, नीतीश कुमार, फारूक अब्दुल्ला, प्रकाश सिंह बादल, दीपांकर भट्टाचार्य, उद्धव ठाकरे, के. चंद्रशेखर राव, वाईएस जगन मोहन रेड्डी, महबूबा मुफ्ती, हेमंत सोरेन, पिनरई विजयन, अरविंद केजरीवाल, अशोक गहलोत, भूपेश बघेल, चरणजीत सिंह चन्नी, ओम प्रकाश चौटाला, जीतन राम मांझी, मौलाना बदरुद्दीन आजमी, जयंत चौधरी, ओ. पनीर सेल्वम, ओमप्रकाश राजवीर, चिराग पासवान, अख्तरुल इमान, मुकेश साहनी और चंद्रशेखर आजाद को पत्र लिखा है। 

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में आधिकारिता मंत्रालय ने हलफनामा दायर कर कहा है कि सरकार पिछडी जातियों की जनगणना करवाने के लिए तैयार नहीं है। इससे प्रशासनिक परेशानियां उत्पन्न होंगी। कोर्ट में दायर हलफनामे में केंद्र सरकार का कहना है कि सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना 2011 अशुद्धियों से भरी हुई है. एसईसीसी-2011 सर्वे ओबीसी सर्वेक्षण नहीं है। 

इसबीच, कांग्रेस नेता व विधान पार्षद प्रेमचंद मिश्रा ने तेजस्वी यादव के द्वारा देश के 33 बडे़ नेताओं को लिखे गए चिट्ठी पर चर्चा करते हुए कहा कि यह अच्छी कोशिश है। लेकिन इसका कोई फायदा नहीं होने वाला है क्योंकि आप कुछ भी कर लो, आंदोलन कर लो, लेकिन केंद्र सरकार आपकी बात को नहीं सुनेगी। नौ माह से आंदोलन कर रहे किसान इसका उदाहरण हैं। 

मोदी सरकार अपने फैसले वापस नहीं लेगी। उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अब इस मामले पर अपना रुख साफ करना होगा, क्योंकि एक तरफ वह जातिगत जनगणना की बात करते हैं। वहीं दूसरी तरफ उसी भाजपा के साथ सरकार चला रहे हैं, जो इसका विरोध कर रही है। 

कांग्रेसी नेता ने कहा कि अब बिहार के मुख्यमंत्री के पास दो विकल्प हैं, एक यह कि वह भाजपा के साथ अपना गठबंधन खत्म कर लें।  दूसरा विकल्प यह है कि वह बिहार में अपने खर्च पर जातिगत जनगणना की व्यवस्था करें। 

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