दिल्ली हाईकोर्ट : ‘भ्रष्ट आचरण' करने वाले राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई से क्यों ‘बच रहा' है निर्वाचन आयोग




नई दिल्ली/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्वाचन आयोग से सवाल किया कि क्यों वह उन राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई से ‘बच रहा' है जो ‘भ्रष्ट आचरण' संबंधी उसके दिशा निर्देशों का उल्लंघन करते हैं। अदालत ने इसके साथ ही चुनाव घोषणा में नकद हस्तांरण के वादे को भ्रष्ट चुनावी आचरण घोषित करने के लिए दायर जनहित याचिका पर आयोग से जवाब तलब किया। 

चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की पीठ ने कहा, ‘क्यों आप कार्रवाई करने से बच रहे हैं? आप कार्रवाई करना शुरू करें। केवल नोटिस और पत्र जारी नहीं करें। हम देखते हैं कि आप क्या कार्रवाई करते हैं। आप सजा के तरीके भी प्रस्तावित कर सकते हैं।' 

अदालत ने यह टिप्पणी निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वकील द्वारा यह कहने के बाद की कि उसने पहले ही ‘‘भ्रष्ट कृत्यों' को लेकर दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं और उन्हें राजनीतिक दलों को भेजा है। पीठ ने कहा कि निर्वाचन आयोग को अपने दिशानिर्देशों के संदर्भ में कार्रवाई शुरू करनी चाहिए। 

हाईकोर्ट ने इस याचिका पर केंद्र को भी जवाब को देने का निर्देश दिया जिसमें कहा गया है कि ‘नोट के बदले' वोट जनप्रतिनिधि कानून की धारा-123 का उल्लंघन हैं। यह धारा भ्रष्ट आचरण और रिश्वत से संबंधित है। पीठ ने 2 राजनीतिक पार्टियों- कांग्रेस और तेलुगु देशम पार्टी (तेदपा)- से भी उनका रुख पूछा है क्योंकि याचिका में कहा गया है कि तेदपा और कांग्रेस ने वर्ष 2019 के आम चुनाव में समाज के कुछ वर्गों को नकद देने की पेशकश की थी। कोर्ट ने अब इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 24 सितंबर की तारीख तय की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इन कृत्यों के बावजूद निवार्चन आयोग ने चुप्पी साध रखी है।

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