नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि कोई भी वरिष्ठ अधिवक्ता अदालत में प्रत्यक्ष सुनवाई में उपस्थित नहीं होना चाहता है और उनमें से महज कुछ ही वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से होने वाली सुनवाई से लाभान्वित हो रहे हैं।
न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव बाद हिंसा से जुड़े मामले में अदालत की निगरानी में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की अपील पर सुनवाई के अंत में यह टिप्पणी की। पीठ ने राज्य सरकार की याचिका पर केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया।
पीठ ने कहा, ‘‘मिस्टर (कपिल) सिब्बल (जो राज्य सरकार की ओर से पेश हो रहे थे) को व्यक्तिगत निर्देश मिल रहे हैं। उन्हें व्यक्तिगत रूप से निर्देश मिलेंगे लेकिन वह व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं होना चाहते। वास्तव में कोई भी वरिष्ठ अधिवक्ता प्रत्यक्ष सुनवाई में उपस्थित होने को तैयार नहीं है।’’
इस पर, सिब्बल ने कहा, ‘‘यह कहीं अधिक सक्षम प्रणाली है।’’ साथ ही जोड़ा कि कई युवा वकील और महिला अधिवक्ता वीडियो कॉन्फ्रेंस माध्यम से अपने मामलों को प्रस्तुत कर रहे हैं और जिरह कर रहे हैं।
न्यायमूर्ति सरन ने कहा कि महज कुछ वरिष्ठ वकीलों को इसका (डिजिटल सुनवाई) लाभ मिल रहा है और कई युवा वकीलों को वीडियो कॉन्फ्रेंस माध्यम से सुनवाई के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। उच्चतम न्याायलय बार एसोसिएशन ने भी अदालतों में प्रत्यक्ष सुनवाई फिर से बहाल करने का अनुरोध किया है।
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