बालाघाट : आवास आवंटन में भी राजनीति की बू !

सीएमओ ने जिसे चाहा उसे मिला घर, नियमित बेघर, संविदा वालों की बल्ले-बल्ले
लांजी/बालाघाट/नरसिंहपुर/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। सरकार की मंशा है कि जिन कर्मियों के पास कार्यक्षेत्र में रहवास की सुविधा नहीं है उन्हें शासकीय आवास मुहैया कराया जाए। खासकर महिला कर्मियों को ताकि उन्हें अपनी पदस्थापना के स्थान तक आने जाने में परेशानी ना हो। स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के तहत मध्यप्रदेश शासन ने भी स्टॉफ  क्वार्टर बनाए हैं। मप्र शासन की मंशा अनुसार सिविल अस्पतालों में कार्यरत स्टाफ नर्स जो कि नियमित हैं, उनके लिए अस्पताल परिसर में ही स्टाफ क्वार्टर बनाए गए हैं। सरकार की एक महत्वपूर्ण सोच ये भी है कि नियमित स्टाफ अस्पताल परिसर में ही निवास करेगा तो मरीजों को त्वरित इलाज मिल सकेगा साथ ही नर्सों को भी किसी तरह का भय नहीं रहेगा। कई अस्पतालों में दूसरे जिलों की नर्सें पदस्थ हैं। लेकिन, विभागीय आला अधिकारी चहेतों को आवास आवंटित कर सरकार की योजना को पलीता लगाने में लगे हैं। ऐसा ही मामला लांजी से सामने आया है। लांजी में गैरपात्रों को आवास आवंटित किए जाने का मामला तूल पकड़ रहा है। आरोप के छीटे सीएमओ के दामन में लग रहे हैं। कहा जा रहा है कि जिसे सीएमओ ने चाहा उसे मिला घर और जो पात्र थे वह रह गए बेघर।

सीएमओ ने किया गलत आवंटन
लांजी सिविल अस्पताल में बने स्टाफ क्वार्टर्स में रेगुलर नर्सों को शासकीय आवास की सुविधा नहीं मिल पा रही है। सीएमओ बालाघाट मनोज पांडे ने स्टाफ क्वार्टर का गलत तरीके से अलॉटमेंट कर दिया गया है। होना तो ये चाहिए था कि जो आवास नियमित तृतीय श्रेणी कर्मचारियों या नर्सों को दिया जाना था वह स्टाफ क्वार्टर को चतुर्थ श्रेणी और संविदा कर्मचारियों को दे दिया गया है। नियमित और पात्र नर्सें आवास सुविधा से वंचित हो गईं। बालाघाट सीएमओ मनोज पांडे के इस अलाटमेंट पर अब विभागीय अमला ही सवालिया निशान लगा रहा है। इधर, तृतीय श्रेणी कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें यहां वहां किराए के मकान में रहना पड़ता है। इससे न सिर्फ अस्पताल आने जाने में दिक्कत होती है बल्कि दूर दराज से यहां आकर सेवाएं देने वाली नर्सों के मन में भय भी बना रहता है।

ये भी लग रहे आरोप
इस मामले में ये भी कहा जा रहा है कि सीएमओ मनोज पांडे ने संभवत राजनीतिक दबाव में आकर चतुर्थ और संविदा कर्मचारियों को आवास आबंटित कर दिए हैं। ये न सिर्फ शासन की मंशा के विपरीत है बल्कि पात्र कर्मचारियों के साथ भेदभाव भी है। सीएमओ से नियमित स्टॉफ नर्सों ने ये उम्मीद लगाई है कि वे उन्हें प्राथमिकता के आधार पर स्टॉफ क्वार्टर आवंटित करेंगे।

इनका कहना है
हमारे द्वारा सिविल अस्पताल लांजी में निर्मित स्टाफ क्वार्टर का आंबटन कर दिया गया है। और इसमें कोई पात्र-अपात्र वाली बात नहीं है। यह सभी को दिया जा सकता है, जिसे देना था उसे दे दिया गया है। ऐसा नहीं है कि संविदा वालों को नहीं देना है और जो पात्र कर्मचारी है कि उन्हें क्वार्टर मिल गया है। और भी 12 से 15 नर्सें है सभी को तो नहीं दिया जा सकता। ऐसा नहीं है कि संविदा वालों को नहीं देना है और जो पात्र कर्मचारी है कि उन्हें क्वार्टर मिल गया है। और भी 12 से 15 नर्सें हैं। सभी को तो नहीं दिया जा सकता।

डॉ. मनोज पांडे, सीएचएमओ   

  

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