नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को आश्चर्य जताया कि चार साल का कोई बच्चा 2009 में पहली कक्षा में दाखिले के दौरान ऐसे हस्ताक्षर कैसे कर सकता है जो उसके द्वारा 12 साल की उम्र में आठवीं कक्षा में किए गए हस्ताक्षर के समान हैं।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्न की पीठ ने इस चीज को "अविश्वसनीय" करार दिया और किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) के उस फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें अपराध के दौरान युवक को किशोर घोषित करते हुए हत्या के मामले में मामूली सजा दी गई थी।
पीठ ने कहा, "यह बिलकुल अविश्वसनीय है कि चार साल का कोई बच्चा स्कूल में दाखिले के दौरान ऐसे हस्ताक्षर कैसे कर सकता है, जो आठवीं कक्षा में दाखिले के दौरान किए गए उसके हस्ताक्षर के समान हैं।
याचिकाकर्ता एवं मृतक के पुत्र ऋषिपाल सोलंकी की ओर से पेश अधिवक्ता अनुपम द्विवेदी ने किशोर न्याय बोर्ड के 11 नवंबर, 2020 के आदेश के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा उनकी अपील खारिज किए जाने के आदेश को चुनौती दी है और आरोपी की वास्तविक उम्र का पता लगाने के लिए उसकी मेडिकल जांच कराने का आग्रह किया है।
उन्होंने कहा, "अपराध के दौरान वह (आरोपी) पूरी तरह से वयस्क था और उसकी उम्र लगभग 20 वर्ष थी।’’
उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता शरण ठाकुर ने कहा कि हालांकि राज्य ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील दायर नहीं की है, लेकिन मामले में प्रस्तुत अभिलेखों में काफी विसंगतियां हैं।
उन्होंने कहा कि यदि आरोपी ने 2009 में स्कूल में दाखिला लिया था, तो उसे 2014 में कक्षा पांच या कक्षा छह में होना चाहिए था, न कि कक्षा आठ में जब तक कि वह इतना मेधावी न हो कि उसे किसी कक्षा में तीन प्रोन्नतियां मिली हों।
ठाकुर ने कहा, ‘‘कई विसंगतियां हैं जिनका पता लगाने की जरूरत है। बेहतर होगा कि अदालत सही उम्र का पता लगाने के लिए आरोपी के अस्थि परीक्षण का आदेश दे।’’
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस मामले में आदेश पारित करेगी और संबंधित पक्ष दो दिन के भीतर अपनी लिखित दलीलें दाखिल करें।
सोलंकी ने अपनी याचिका में कहा कि वह एक किसान परिवार से ताल्लुक रखता है और उसके पिता और चाचा (दोनों की हत्या कर दी गई) ट्रैक्टर की मदद से उत्तर प्रदेश के बागपत में गन्ने को खेतों से चीनी मिल तक ले जा रहे थे। पांच मई, 2020 को शाम लगभग चार बजे उन्होंने ट्रैक्टर-ट्रॉली को तकनीकी खामी के चलते गांव के बाहर सड़क खड़ा कर दिया था।
उन्होंने कहा है कि तभी पारंपरिक हथियारों से लैस कुछ ग्रामीण आरोपी के साथ मौके पर पहुंचे और ट्रॉली हटाने को कहा जिसके चलते मारपीट हुई। इस दौरान उनके पिता की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उनके चाचा को गंभीर चोटें आईं जिनकी चार दिन बाद अस्पताल में उनकी मौत हो गई।
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