जबलपुर। मध्य प्रदेश के एक सरकारी विश्वविद्यालय ने मवेशियों के चारे और आहार का एक स्वादिष्ट विकल्प चॉकलेट के रूप में खोजा है। इससे मवेशियों में दुग्ध उत्पादन और प्रजनन दर में सुधार करने में मदद मिलेगी।
जबलपुर स्थित नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसपी तिवारी ने शुक्रवार को कहा कि दो महीने के शोध के बाद विश्वविद्यालय ने मवेशियों के लिए मल्टीविटामिन और खनिज युक्त चॉकलेट तैयार की है जो कि मवेशियों के लिए हरा चारा न होने पर वैकल्पिक आहार हो सकता है।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रदेश के पशु चिकित्सा और पशुपालन विभाग की सहायता से प्रदेश भर में किसानों को जल्द ही इन चॉकलेट की आपूर्ति करेगा।
तिवारी ने कहा कि विश्वविद्यालय की चॉकलेट उत्पादन तकनीक को पशु चिकित्सा स्नातकों को हस्तांतरित करने की योजना है जो चॉकलेट उत्पादन के लिए एक स्टार्टअप इकाई खोलने के इच्छुक हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ यह चॉकलेट मवेशियों में दूध उत्पादन, प्रजनन दर और उनकी गर्भाधान दर को बढ़ाएगी। यह विटामिन और प्रोटीन से भरपूर है।’’
मवेशियों को चॉकलेट सीधे भी दी जा सकती है, और इसे अन्य चारे के साथ मिला कर भी दिया जा सकता है।
तिवारी ने कहा, ‘‘ चॉकलेट का प्रत्येक टुकड़ा लगभग 500 ग्राम का होता है और इसे पारंपरिक रुप से मवेशियों के चारे में इस्तेमाल होने वाली सामग्री जैसे सरसों की खली, चावल की भूसी, गुड़, स्टार्च, चूना पाउडर और नमक से तैयार किया जाता है। चॉकलेट के एक टुकड़े की कीमत 25 रुपए होगी।’’
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने इस चॉकलेट के उत्पादन के लिए लकड़ी के सांचे डिजाइन किए हैं और अब तक 500 टुकड़े तैयार किए जा चुके हैं।
तिवारी ने कहा कि विश्वविद्यालय ने इस बारे में प्रदेश सरकार को पत्र लिखा है और इसे अनुमति मिलते ही यह उत्पाद बाजार में आ जाएगा।
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