न्यायालय ने कहा- संतुलित दृष्टिकोण की जरूरत
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे और यहां जंतर-मंतर पर ‘सत्याग्रह' करने की अनुमति देने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध कर रहे एक किसान संगठन से शुक्रवार को कहा, ‘आपने पूरे शहर को पंगु बना दिया है और अब आप शहर के भीतर आना चाहते हैं और यहां फिर से विरोध शुरू करना चाहते हैं।’
जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस सी टी रविकुमार की पीठ ने कृषकों के संगठन ‘किसान महापंचायत' और उसके अध्यक्ष से कहा कि एक बार जब उन्होंने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अदालत का रुख कर लिया था तो उन्हें न्यायिक व्यवस्था में भरोसा रखना चाहिए और मामले में फैसला होने देने चाहिए था।
शीर्ष अदालत ने कहा कि नागरिकों को भी बिना किसी डर के स्वतंत्र रूप से घूमने का समान अधिकार है और विरोध में उनकी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। अदालत ने कहा, “एक संतुलित दृष्टिकोण होना चाहिए।”
पीठ ने याचिकाकर्ताओं को एक हलफनामा दायर करने के लिए कहा कि वे उस विरोध का हिस्सा नहीं हैं, जो हो रहा है और जिसके तहत शहर की सीमाओं पर राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध किया गया है। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 4 अक्तूबर को निर्धारित कर दी।
कई किसान संगठन तीन कानूनों - किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020, आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 और मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020 पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता, 2020 के पारित होने का विरोध कर रहे हैं।
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