न्यायाधीश मौत मामले में सीबीआई का आरोप पत्र ‘उपन्यास’ जैसा है : उच्च न्यायालय ने सीबीआई को फटकारा



रांची। झारखंड उच्च न्यायालय ने कहा कि धनबाद के जिला न्यायाधीश की अप्राकृतिक मौत के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दाखिल किया गया आरोप पत्र एक ‘उपन्यास’ की भांति है और एजेंसी दो आरोपियों के विरूद्ध हत्या के आरोप की पुष्टि नहीं कर पायी है।

भादंसं की धारा 302 के तहत पिछले सप्ताह आरोप पत्र दाखिल किया गया। यह धारा हत्या के आरोप में इस्तेमाल की जाती है।

मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की पीठ ने यह भी कहा कि केंद्रीय एजेंसी द्वारा की गयी जांच पूर्ण नहीं है और उसकी जांच के दौरान कोई नया तथ्य सामने नहीं आया।

अतिरिक्त जिला न्यायाधीश उत्तम आनंद (49) की मौत के मामले की जांच की निगरानी से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि एजेंसी ने इस अदालत को अंधेरे में रखते हुए नियमित तरीके से आरोप पत्र दाखिल किया। न्यायालय ने कहा कि जांच विश्वसनीय नहीं है और यह उपन्यास की भांति है।

इस मामले की 12 नवंबर को फिर सुनवाई होगी। उत्तम आनंद की 28 जुलाई को धनबाद में एक ऑटोरिक्शा द्वारा टक्कर मारे जाने से मौत हो गयी थी।

दो सप्ताह में यह दूसरी बार है कि उच्च न्यायालय ने इस मामले में सीबीआई को फटकारा है। उसने 22 अक्टूबर का कहा था कि एजेंसी जांच पूरी करते हुई एवं ‘ढर्रे’ पर आरोपपत्र दाखिल करते हुए ‘बाबुओं’ की तरह काम करती हुई जान पड़ती है ।

सीबीआई ने बार-बार अदालत को आश्वासन दिया था कि जांच पूरी रफ्तार से चल रही है । उसने यह भी कहा था कि दोनों आरोपियों का अन्य लोगों से संबंध भी खंगाला जा रहा है ताकि आनंद की मौत से उनके संबंध का पता चल सके।

सीसीटीवी फुटेज से नजर आता है कि न्यायाधीश आनंद 28 जुलाई को जिला न्यायालय के समीप रणधीर वर्मा चौक पर अच्छी-खासी चौड़ी सड़क पर तेज कदमों से चल रहे थे, तभी पीछे से एक ऑटो रिक्शा उनकी तरफ आया और उन्हें टक्कर मारते हुए निकल गया।

कुछ स्थानीय लोगों ने उन्हें खून से लथपथ देखा और वे उन्हें अस्पताल ले गये। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

शुरू में झारखंड पुलिस का विशेष जांच दल इस मामले की जांच कर रहा था। बाद में राज्य सरकार ने इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया, जिसने चार अगस्त को जांच शुरू की।

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