राज्यसभा : सभापति वेंकैया नायडू ने 12 सदस्यों के निलंबन को ठहराया सही


नई दिल्ली। राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने, संसद के मानसून सत्र के दौरान उच्च सदन में ‘अशोभनीय आचरण' करने के कारण शीतकालीन सत्र में विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किए जाने के फैसले को मंगलवार को उचित ठहराया।  

शून्यकाल के दौरान विपक्ष के नेता और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने जब यह मुद्दा उठाया और सभापति से 12 विपक्षी सदस्यों का निलंबन रद्द करने का अनुरोध किया, तब नायडू ने कहा ‘यह निलंबन आसन की ओर से नहीं, सदन की ओर से किया गया है।'

उन्होंने कहा कि निलंबित सदस्यों ने अपने किए पर किसी तरह का पछतावा जाहिर नहीं किया, बल्कि अपने किए को उचित ठहराया। उन्होंने कहा ‘मुझे नहीं लगता कि निलंबन रद्द करने की नेता प्रतिपक्ष की अपील विचार करने योग्य है।' 

इस पर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल और वाम दलों के सदस्यों ने विरोध जताया। कुछ देर बाद इन दलों के सदस्यों ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करते हुए वाकआउट कर दिया।  

तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि संसद के मानसून सत्र के दौरान विपक्षी दलों के सदस्यों को महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने की अनुमति नहीं दी गई और वह हंगामा करने के लिए बाध्य हुए। ओ ब्रायन ने कहा कि यह देखते हुए सत्ता पक्ष के 80 सदस्यों को निलंबित किया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने कुछ मुद्दों पर चर्चा बाधित की।   

इसके बाद उन्होंने और उनकी पार्टी के सदस्यों ने भी वाकआउट कर दिया। शून्यकाल के दौरान समाजवादी पार्टी के विशंभर प्रसाद निषाद ने अपना मुद्दा उठाया और अपनी बात रखने के बाद उन्होंने भी विपक्षी दलों के 12 सदस्यों के निलंबन के विरोध में वाकआउट किया।  

मानसून सत्र में अशोभनीय आचरण के लिए निलंबित किए गए सदस्यों में छह कांग्रेस के, दो तृणमूल कांग्रेस के, दो शिवसेना के सदस्य हैं और माकपा तथा भाकपा के एक एक सदस्य हैं। 

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