अमित सर की क्लास : भाजपा को 2022 में कामयाबी के दिये 22 मंत्र



वाराणसी। गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा की कामयाबी के लिये पार्टी पदाधिकारियों को बूथ स्तर तक मतदाताओं को जोड़ने का मंत्र दिया।

शुक्रवार और शनिवार को उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के दौरे पर शाह ने भाजपा के चुनाव अभियान को धार देने के लिये पार्टी पदाधिकारियों के साथ मैराथन बैठक कर ‘2022 की कामयाबी के लिये 22 मंत्र’ सुझाये हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक ‘चुनावी रणनीति के चाणक्य’ कहे जाने वाले पूर्व भाजपा अध्यक्ष शाह ने प्रदेश की सभी 403 विधानसभा सीटों के पार्टी प्रभारियों के साथ वाराणसी में शुक्रवार को बैठक कर चुनावी सफलता के सूत्र बताये।

इसमें उन्होंने विधानसभा प्रभारियों को जिला इकाईयों के साथ सतत संवाद कायम करने और प्रत्येक पन्ना प्रमुख को कम से कम 15 घरों में जाकर मोदी और योगी सरकार की नीतियों से हो रहे लाभ से अवगत कराना शामिल है। समझा जाता है कि चार घंटे तक चली बैठक में शाह ने भाजपा के प्रदेश नेतृत्व से सपा के असंतुष्ट नेताओं को भी साधने का मंत्र दिया है।

हालांकि उन्होंने दूसरे दलों से भाजपा में शामिल किये जाने वाले नेताओं की जनता में साफ छवि होने का पूरा ध्यान रखने की भी ताकीद की है। इस बीच शनिवार को सियासी गलियारों में सपा और बसपा के दर्जन भर से अघिक विधायकों के जल्द भाजपा में शामिल होने की भी चर्चाओं का बाजार भी गर्म हो गया।

राज्य के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में स्वीकार किया कि सपा के दर्जन भर से अधिक विधायक भाजपा के संपर्क में हैं। मौर्य ने कहा कि दूसरे दलों के असंतुष्ट विधायकों की सूची तैयार है। वह किसी के नाम का खुलासा नहीं कर सकते हैं। 

उन्होंने यह जरूर कहा कि ऐसे नेताओं का ट्रैक रिकार्ड जांचा जा रहा है। भाजपा में उसी नेता को शामिल किया जायेगा जिसकी छवि बेदाग हो और वह भाजपा के मानकों पर खरा उतरता हो।

कुल मिला कर राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ शाह ने इन दो दिनों में वाराणसी, आजमगढ़ और बस्ती में विकास कार्याें के उद्घाटन तथा ताबड़तोड़ रैलियां कर उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल इलाके में भाजपा को चुनावी मजबूती देने का ठोस आधार देने की पहल कर दी है। पिछले चुनाव परिणामों के विश्लेषण से साफ है कि 160 से अधिक विधानसभा सीटों वाले पूर्वांचल क्षेत्र में सपा का दबदबा कायम है। इसके मद्देनजर पूर्वांचल में शाह का दो दिवसीय दौरा सपा के गढ़ में विकास के नाम पर सेंधमारी की कोशिश ही माना जायेगा।

एक तरफ शाह ने वाराणसी में पार्टी पदाधिकारियों को चुनावी सफलता के गुर सिखाये वहीं, आजमगढ़ में राजकीय विश्वविद्यालय और बस्ती में सांसद खेल महाकुंभ के नाम पर युवाओं को विकास के बलबूते साधने की कोशिश की। इतना ही नहीं शाह ने आजमगढ़ विश्वविद्यालय का नाम महाराजा सुहेलदेव के नाम पर करने की पहल करके सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और सुभासपा अध्यक्ष ओपी राजभर के चुनावी गठजोड़ से होने वाले सियासी नफा नुकसान को संतुलित करने का प्रयास किया।
इसके अलावा अखिलेश के गढ़ में शाह ने माफिया राज के सफाये की बात कह कर सुशासन के महत्व की जनता में स्वीकार्यता का भी स्पष्ट संदेश दिया है। 

गौरतलब है कि अखिलेश इस समय आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं। इसके पहले उनके पिता मुलायम सिंह यादव भी इसी सीट से सांसद थे।

इसके इतर अखिलेश ने भी शनिवार को पूर्वांचल में ही डेरा डाल कर इस इलाके को सियासी अखाड़े का केन्द्र बिंदु बना दिया। इसे संयोग ही कहें या रणनीति, एक तरफ शाह और योगी ने आजमगढ़ में सपा अध्यक्ष के किले को भेदने का व्यूह रचा, वहीं, अखिलेश ने भी मुख्यमंत्री योगी के गृह जनपद गोरखपुर से कुशीनगर तक विजयरथ यात्रा निकाल कर भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश की।

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