महंगाई डायन के चुनावी डंक से डरी सरकार, पेट्रोल 5 रुपये, डीजल 10 रुपये गिरा



नई दिल्ली। महंगाई डायन के चुनावी डंक से सरकार दर गई है। इसलिए जनता को सरकार ने राहत देते हुए पेट्रोल पर पांच रुपये और डीजल पर 10 रुपये केंद्रीय उत्पाद शुल्क घटा दिया है। घटी हुई कीमतें बुधवार रात से ही प्रभावी हैं। डीजल-पेट्रोल की कीमतों में दी गई इस राहत को 13 राज्यों के 29 विधानसभा और तीन लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों से जोड़ कर देखा जा रहा है।

रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी डीजल-पेट्रोल की कीमतों में दीवाली की पूर्व संध्या पर सरकार की ओर से घोषित इस राहत को आम जनता के लिए दिवाली गिफ्ट कहा जा रहा है। बता दें कि इस वक्त देश में पेट्रोल 110.04 रुपये प्रति लीटर और डीजल 98.42 रुपये प्रति लीटर है। कई राज्यों में डीजल की कीमत भी शतक लगा चुका है। केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से भी डीजल-पेट्रोल पर टैक्स कम करने का आग्रह किया है ताकि रबी की बुआई सीजन में किसानों को थोड़ी राहत मिले और महंगाई भी नियंत्रित हो सके। कच्चे तेल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच जाने के चलते पिछले छह दिनों डीजल-पेट्रोल की कीमतों में 35-35 पैसे की बढ़ोतरी लगातार हो रही थी, जिस पर बुधवार को विराम लगा। बीते 28 दिनों के आंकड़े देखें तो पेट्रोल की कीमत में 8.85 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। 

सरकार ने मई 2020 में केंद्रीय उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी की थी। पिछले साल पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 19.98 रुपये से बढ़ा कर 32.9 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 31.80 रुपये प्रति लीटर कर दिया था। जबकि 2014 में पेट्रोल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क 9.48 रुपये और डीजल पर 3.56 रुपये प्रति लीटर वसूला जाता था। छह साल में डीजल-पेट्रोल पर करीब 300 गुना टैक्स बढ़ोतरी हुई, जिससे सरकार की आय में 307 फीसदी तक की वृद्धि हुई। इसी साल मार्च में संसद में सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक वित्त वर्ष 2021 में 12.2 फीसद टैक्स बढ़ा है। जबकि कोरोना महामारी अवधि में कच्चे तेल की वैश्विक स्तर पर कीमतें पिछले 20 साल के सबसे न्यूनतम स्तर पर रही थी।
 
उपचुनाव के नतीजे भाजपा के लिए खतरे की घंटी !
कहा जा रहा है कि डीजल-पेट्रोल की कीमतों में दी गई राहत के पीछे मंगलवार को घोषित उपचुनावों के नतीजे हैं। अगले साल होने वाले छह राज्यों के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर उपचुनाव के नतीजे भाजपा के लिए खतरे की घंटी के तौर पर देखे जा रहे हैं। दरअसल, 13 राज्यों की 29 विधानसभा और 3 लोकसभा सीटों पर भाजपा का प्रदर्शन अपेक्षाकृत नहीं रहा। 

हरियाणा में सत्ता में होते हुए भाजपा उपचुनाव हार गई
हिमाचल में सत्ता में होते हुए भी भाजपा न लोकसभा सीट जीत पाई और न ही तीन में से एक भी विधानसभा। हरियाणा में भी सत्ता में होते हुए भाजपा उपचुनाव हार गई। ये हार भाजपा के लिए सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है। अगले साल के अंत में हिमाचल में विधानसभा चुनाव है। हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस हार के लिए महंगाई को जिम्मेदार बताया, जबकि हरियाणा में हुई हार को किसानों की नाराजगी का नतीजा कहा जा रहा है। 

मध्य प्रदेश में जीत का अंतर भी बहुत कम
मध्य प्रदेश में दो विधानसभा और एक लोकसभा सीट जीतने में सफल होने के बाद भी यह परिणाम सत्ताधारी दल भाजपा के लिए अनुकूल नहीं कहे जा रहे हैं, क्योंकि जिन विधानसभा सीटों पर उसकी जीत हुई है, वे दोनों आयातित उम्मीदवार हैं और जीत का अंतर भी बहुत कम है। कांग्रेस अगर एकजुट होकर चुनाव लड़ती तो शायद भाजपा को एक भी सीट नहीं मिलती। 

टीएमसी ने भाजपा की दो सीटें छीन ली  
असम और बिहार में जरूर भाजपा नीत एनडीए की लाज बच गई, मगर, पश्चिम बंगाल में टीएमसी ने भाजपा की दो सीटें छीन ली। कहा जा रहा है कि महंगाई और किसानों की नाराजगी का असर कम करने को ही केंद्र ने डीजल-पेट्रोल में राहत दी है। केंद्र की इस पहल को देखते हुए राज्यों से भी टैक्स में और राहत की उम्मीद है।

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